रायसेन। मध्यप्रदेश के रायसेन में हिन्दुओं को कुरान पढ़ाया जा रहा है। उनसे नमाज़ करवाई जा रही है। मौलवी आकर उन्हें इस्लाम धर्म के रीती-रिवाज़ बता रहे हैं। मासूम बच्चों के अंदर नफरत भरी जा रही है। आखिर क्या है पूरा मामला, आइए जानते हैं।
Aayudh की टीम ने किया धर्मांतरण का पर्दाफाश
देश के अलग-अलग राज्यों से हर दिन धर्मांतरण की कोई न कोई खबर जरूर आती है। देश का दिल कहे जाने वाला मध्य प्रदेश भी इससे अछूता नहीं रह गया।
Aayudh की टीम को जब धर्मांतरण ये खबर मिली तो हम तुरंत इसकी पड़ताल करने निकल गए। जब हमारी टीम राजधानी भोपाल से पापड़ा गांव पहुंची तो जो हमें दिखा वो चौंकाने वाला था।
आपको बता दें कि पापड़ा गांव, मध्य प्रदेश के रायसेन जिले की गैरतगंज तहसील में आता है। इसी गांव में हिन्दू समुदाय के अनुसूचित वर्ग के नट रहते हैं। जब Aayudh की टीम ने इनसे इनका धर्म पूछा तो इन्होंने इस्लाम बताया।
क्या है पूरा मामला ?

हाल ही के दिनों में देश और प्रदेश से ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें एक समुदाय के लोग अपना नाम छुपाकर या गलत तरीके से दूसरे समुदाय के लोगों से शादी करते हैं और उन्हें जबरन अपना धर्म बदलने को कहते हैं।
एक ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश के रायसेन से भी सामने आया है। जहाँ हिन्दू समुदाय के लोगों को मुस्लिम बताकर गुमराह किया जा रहा है। Aayudh की टीम ने जब लोगों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने खुद को हिन्दू बताने से साफ़ इंकार कर दिया। जब उनसे सरकार से मिलने वाली सुविधाओं के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बताया की उन्हें सरकार की सारी सुविधाओं का लाभ मिला रहा है, जो एक अनुसूचित वर्ग के व्यक्ति को मिलता है।
आपको बता दें कि पापड़ा गांव में हिन्दू समुदाय के नट लोगों का 40 परिवार रहता है, मगर वो खुद को हिन्दू बताने से इंकार करते हैं। जब हमारी टीम ने लोगों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि वो जन्म से मुस्लिम हैं।

जब हमनें बच्चों से बात की तो उन्होंने बताया कि मौलाना साहब आकर उन्हें कुरान पढ़ाते हैं। एक बच्ची ने उसके कुछ अंश भी पढ़कर सुनाए। जब बच्ची से इसका मतलब पूछा गया, तो उसने कहा कि ‘अल्लाह’ सबसे बड़ा है।
अब सवाल ये उठता है कि बच्चों को ये सब बता कौन रहा है ? जब Aayudh की टीम ने गांव के कुछ और लोगों से बात करने कि कोशिश कि तो पता चला कि पास के गांव (मऊगंज) से एक व्यक्ति आकर उन बच्चों को नमाज पढ़वाता है। इसकी सूचना प्रशासन को भी नहीं है।
क्या कहते हैं गांव के अन्य लोग ?
स्थानीय निवासी – “ये लोग नमाज़ पढ़ते हैं, लगातार यात्रा पर भी जाते हैं। इसके अलावा इनके छोटे-छोटे बच्चों को वो (मौलवी) लोग आकर बताते हैं कि नमाज़ कैसे पढ़ते है, अजान कैसे होती है।” स्थानीय लोगों का कहना है कि मौलवी बच्चों को गलत बातें बताते हैं, फिर बच्चे स्कूल में जाकर नमाज पढ़ते हैं। उनकी इस हरकत से स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक भी परेशान हैं।
स्थानीय निवासियों में ही एक बूढ़े दादा का कहना है कि मुस्लिम समुदाय यहाँ मस्जिद बनाने की तैयारी में लगा है।
क्या मुस्लिम समुदाय अनुसूचित वर्ग में आता है ?
हमनें आपको मामले की पूरी जानकारी दे दी। क्या आपने इस बात को नोटिस किया कि हिंदू समुदाय के नट लोग जो खुद को मुस्लिम बता रहे हैं, उन्हें अनुसूचित वर्ग को मिलने वाली सारी सुविधाएं कैसे मिल रही हैं ? क्या मुस्लिम समुदाय अनुसूचित वर्ग में आता है ?
साल 1950 में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत एक आदेश जारी किया गया था, जिसे अनुसूचित जाति आदेश के रूप में जाना जाता है। इस आदेश के अनुसार भारत के राष्ट्रपति को “जातियों, नस्लों या जनजातियों के समूहों” को सार्वजनिक रूप से अधिसूचित करने और पहचानने का अधिकार दिया गया है, जिन्हें संविधान के अनुसार अनुसूचित जाति (एससी) माना जाएगा।
शुरुआत में इस आदेश के तहत केवल हिंदुओं को ही अनुसूचित जाति माना जाता था। लेकिन वर्ष 1956 में इसमें एक संसोधन करके सिखों और 1990 में बौद्धों को भी शामिल कर लिया गया था। अब तक मुस्लिम और ईसाई धर्मों के लोगों को अनुसूचित जाति की परिभाषा में शामिल करने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
धर्मांतरण की खबर से प्रशासन बेखबर
जिहाद और धर्मांतरण जैसे शब्दों से बेखबर पापड़ गांव के बच्चे और लोग एक समुदाय का शिकार हैं। जिन बच्चों को देश का नेतृत्व करना था, वो बच्चे मौलवियों के जाल में फँसते चले जा रहे हैं। सरकारों द्वारा धार्मिक रूपांतरणों को प्रतिबंधित करने के लिए कई कानून बनाए गए हैं, मगर रायसेन की इस खबर से प्रशासन अंजान है। जिसका खुलासा Aayudh की टीम ने किया है।
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