भारत में एक बार फिर नारी शक्ति की जीत हुई है। सोमवार यानि आज 8 जनवरी को बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषियों के खिलाफ सुप्रिम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला लिया है। इसी के साथ सुप्रिम कोर्ट ने गुजरात सरकार के फैसले को नकार दिया है। आप सब ने बिल्कुल सही सुना गुजरात सरकार के फैसले को रद्द करते हुए सुप्रिम कोर्ट ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषियों को दो हफ्ते के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया है।
आपको बता दें कि सुप्रिम कोर्ट ने आज गुजरात सरकार के फैसले को गलत करारते हुए बताया कि गुजरात कोर्ट इस केस से जुड़ा कोई भी फैसला लेने में सक्षम नही थी, गुजरात सरकार के इस फैसले को सुप्रिम कोर्ट ने ‘फ्रॉड एक्ट’ घोषित कर दिया है। सुप्रिम कोर्ट ने कहा देश की हर महिला सम्मान की हकदार है। फिर चाहे वह किसी भी समाज में कितनी भी ऊंची या नीची क्यों ना हो।
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सुप्रिम कोर्ट ने बताया की कैसे दोषी पक्ष भौतिक तथ्यों को दबाकर और एक झूठा तथ्य बनाकर सजा माफ कराने का सोच रहे थे। सुप्रिम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरथाना और उज्जल भुइयां की बेंच ने फैसला सुनाया। जिसके बाद सुप्रिम कोर्ट ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस के 11 दोषियों को सजा सुई और दो हफ्ते के भितर-भितर सरेंडर करने का आदेश दिया है। इसी के साथ जस्टिस नागरथाना ने बताया कि इस अदालत में धोखाधड़ी का खेल खेला गया है। गुजरात सरकार को सजा की छूट पर विचार करने का कोई निर्देश ही नही दिया गया था।
बिलकिस बानो केस में सुप्रिम कोर्ट ने क्या-क्या कहा
जस्टिस नागरथाना ने बताया कि इस अदालत की ओर से सजा में छूट देने के विचार पर कोई फैसला नही लिया गया था। गुजरात सरकार का 13 मई 2022 का आदेश सही नहीं था। इसके पहले इस फैसले पर हाईकोर्ट ने भी टिप्पणी की थी पर गुजरात कोर्ट ने ये बात छुपाई। आपको बता दें कि ये पुरी केस गुजरात सरकार के हाथ मे था ही नही ये पुरा केस बिलकिस बानो की मांग पर मुंबई भेज दिया गया था।
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