ज्ञानवापि मस्जिद मामले के बाद पूरे देश की निगाहें इस वक्त मथुरा पर टिकी हुई हैं। दरअसल हिंदू पक्ष का कहना है कि मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के पास स्थित शाही ईदगाह मस्जिद की जगह पर ही कंस का कारावास है जहाँ श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।
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अब इस मामले में ASI सर्वे करने की भी इजाज़त इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दी जा चुकी है। यह सर्वे किस तरह से किया जाएगा इसका फैसला 18 दिसम्बर को अगली सुनवाई में होगा। मथुरा जन्मभूमि ने इतिहास के कई अच्छे और बुरे दिन देखे हैं। इस लेख के माध्यम से जानिए।
शिलालेख पर मिली ब्राहम्मी-लिपि
जन्म स्थान के करीब रहने वाले लोगों का मानना है कि इस स्थान से जो शिलालेख मिले उनपर ब्राहम्मी-लिपि लिखी हुई है। जिससे यह पता चलता है कि यहाँ शोडास के राज्य काल में वसु राजा ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर एक मंदिर का निर्माण कराया था।
विक्रमादित्य ने कराया श्रीकृष्ण जन्मभूमि का निर्माण
400 ई में मथुरा कला और संस्कृति का मुख्य केंद्र था इस दौरान यहाँ हिंदू धर्म के साथ साथ बौध्द और जैन धर्म का भी विकास हुआ। इतिहासकारों के मुताबिक इसी दौरान राजा विक्रमादित्य ने दूसरा भव्य मंदिर बनवाया था।
खुदाई के दौरान मिले संस्कृत शिलालेख
खुदाई के दौरान मिले संस्कृत शिलालेख से पता चला कि 1150 ई में राजा विजयपाल देव के शासन काल के दौरान जिज्ज नाम के व्यक्ति ने श्री कृष्ण जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण कराया जिसे 16वी शताब्दी में सिकंदर लोदी द्वारा तोड़ दिया गया था।
ओरछा के राजा ने किया श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण
ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला द्वारा चौथी बार श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण कराया गया था पर मंदिर की भव्यता से चिड़कर 1669 में ओरंगजेब ने इसे तुड़वाकर इसके एक हिस्से पर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण करा दिया था।
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