चित्रकूट। गुरुवार (27 फरवरी) को देश के गृह मंत्री अमित शाह चित्रकूट पहुंचे। यहाँ उन्होंने नानाजी देशमुख की 15वीं पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित की। जिसके बाद पंडित दीनदयाल उपाध्याय की नई मूर्ति का अनावरण भी किया। इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रसिद्द कथावाचक मोरारी बापू भी मौजूद रहे।
“देश ने एक ही कालखंड में दो महापुरषों को जन्म दिया” – अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कार्यक्रम के दौरान सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ लोगों के जीवन युगों तक अपना असर छोड़ जाते हैं और युग को परिवर्तनकारी बनाते हैं। उन्होंने कहा कि एक ही कालखंड में इस देश को दो महापुरष मिले, नानाजी देशमुख और पंडित दीनदयाल उपाध्याय दोनों का जन्म 1916 में ही हुआ।
नानाजी देशमुख का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि नानाजी ने अपने व्यवहार, अपनी कर्मठता और अपने संस्कार से कई ऐसे सिद्धांत स्थापित किए हैं, जो अगली शताब्दी तक देश की राजनीति को दिशा दिखाने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र की रक्षा में उनका योगदान अहम रहा।

नानाजी के सिद्धांतो को आगे बढ़ा रही बीजेपी – CM मोहन यादव
नानाजी देशमुख की 150वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि “नानाजी ने हमेशा कतार में अंतिम खड़े व्यक्ति को प्राथमिकता दी है”। भारतीय जनता पार्टी की सरकार भी उनके इस सिद्धांत को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। बीजेपी गरीबों को राशन, मकान और मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए संकल्पित है।
इस दौरान मोरारी बापू ने कहा कि नानाजी ने राम दर्शन के साथ ही ग्राम दर्शन भी कराया है।

कौन थे नानाजी देशमुख ?
नानाजी का जन्म वर्ष 1916 में मराठी भाषी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने राजस्थान के सीकर से अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की, जिसके बाद आगे की पढ़ाई उन्होंने बिड़ला कॉलेज से की। नानाजी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य भी रहे। 1952 में जब जन संघ की स्थापना हुई तब जनसंघ के उत्तर प्रदेश का दायितव नानाजी को सौंपा गया। 1967 में वो जनसंघ के संगठन मंत्री बनकर दिल्ली पहुंचे और दिल्ली में ही ‘दीनदयाल शोध संस्थान’ की नींव रखी।
1978 में उन्होंने सक्रिय राजनीति को अलविदा कह दिया और ‘दीनदयाल शोध संस्थान’ के माध्यम से ग्राम विकास के कार्य में लग गए। 1991 में उन्होंने चित्रकूट में देश के पहले ‘ग्रामोदय विश्वविद्यालय’ की स्थापना की। जिसके बाद आसपास के 500 गावों का जन भागीदारी के माध्यम से विकास किया।
इसी प्रकार उन्होंने बिहार, नागपुर, अहमदाबाद और कई जगहों पर गांवों का विकास किया। 1991 में राज्यसभा के लिए मनोनीत किए गए और 27 फरवरी 2010 को चित्रकूट में अपनी आखिरी साँस ली। वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने उन्हें ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया।

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