आज विश्व जल दिवस (World water day) है। आज के जलवायु परिवर्तन को देखते हुए अक्सर जनता को जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाता है। इसी तरह की जागरुकता फैलाते हैं मध्य प्रदेश के बैतूल के रहने वाले समाज सेवक मोहन नागर जो लगातार 32 वर्षों से बैतूल में जल संरक्षण से जुड़ी सेवाएं दे रहे हैं। नागर ने अब तक कई जल संरक्षण अभियानों पर काम किया है और कई नदियों को पुनर्जीवित किया है। इस विश्व जल दिवस (World water day) पर आयुध की टीम ने प्रदेश के जल पुरुष कहे जाने वाले मोहन नागर से बात की।
प्रश्न- आपको जल संरक्षण करने की प्रेरणा कैसे मिली?
मोहन नागर- मैं जब बैतूल जिले में आया तो देखा कि क्षेत्र में बारिश तो पर्याप्त है पर जल का संरक्षण करने का कोई साधन नहीं हैं जिसके कारण जल पहाड़ों से बहकर नालों में चला जाता है ,उस वक्त मेरे मन में जल संरक्षण करने का विचार आया। जिसके बाद हम गांव गांव जाकर चौपाल लेते थे ताकी लोगों को इसके प्रति जागरूक कर जल संरक्षण का कार्य आगे बढ़ांए। हम ने सबसे पहले नदियों में बोरी बंधन का कार्य किया और लोगों को इस के फायदे बताए। इसके बाद हमने पहाड़ों पर जल संरक्षण के लिए गंगावतरण अभियान चलाया जिससे हम पहाड़ों पर बारिश के पानी को इक्ट्ठा कर सकें।
प्रश्न- अभी तक किन अभियानों पर कार्य कर चुके हैं?
मोहन नागर- हमारे मुख्य अभियानों में गंगावतरण अभियान है। भारत के 75वे अमृत महोत्सव में हमने 75 पहाड़ों पर गंगावतरण अभियान किया था। हमने नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए भी कई अभियान चलाए हैं साथ ही मां ताप्ती के लिए अभियान चलाया जिसमें हमने ताप्ती बेसिन के पास वृक्षारोपण और बीजारोपण किया।
प्रश्न- आपने ऐसे जनजाती क्षेत्रों में कार्य किस तरह किया जहां आदिवासी समुदाय से संपर्क करना मुश्किल माना जाता है?
हम जब ऐसे क्षेत्रों में जाते थे तो लोगों को जागरुक करते थे कि उनके क्षेत्र में होने वाली जल की कमी को वह खुद ही पूरा कर सकते हैं। हमने उनके लिए जल संरक्षण का काम किया और आदिवासी बच्चों को शिक्षा दी तो जनजाती क्षेत्रों में लोगों को हम पर विश्वास होने लगा जिसके बाद लोग सैकड़ों की संख्या में उनका साथ देने आने लगे।
प्रश्न- वर्तमान में जल संरक्षण के लिए क्या कार्य कर रहे हैं और भविष्य में क्या करने वाले हैं?
हम और हमारी भारती संस्थान गांव में बच्चों की शिक्षा और नदी संरक्षण का कार्य कर रहे हैं। क्षेत्रों में बीजारोपण और वृक्षारोपण का कार्य कर रहे हैं। हमने पहाड़ियों को हरा भरा करने का लक्ष्य लिया था, इन पहाड़ियों पर पहले घने जंगल हुआ करते थे पर अब ऐसा नहीं है जिसके पास हमने साल 2016 में इन पहाड़ियों को हरा भरा करने का संकल्प लिया था और आज वो पहाड़ी हरी भरी होने की राह पर है। लोगों को खुद जल के संरक्षण के लिए अब कार्य करना होगा जिसके लिए हम लगातार उन्हें जागरुक करने का कार्य कर रहे हैं।
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