जहाँ एक ओर कई राम भक्त इस तारीख का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं वहीं ऐसे भी कई लोग हैं जो इस तिथि का विरोध कर रहे हैं। मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए कई संतों को भी न्योता भेजा गया है पर ऐसे भी कई संत हैं जो मंदिर के शिखर के बिना प्राण प्रतिष्ठा होने को गलत बता हरे हैं। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि जब यही सवाल मुहूर्त निकालने वाले गणेश्वर शास्त्री से पूछा तो उन्होंने इसके पीछे की बात बताई।
दो प्रकार से की जाती है मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि का निर्धारण वाराणसी के रहने वाले गणेश्वर शास्त्री ने किया है। मंदिर का शिखर निर्माण हुए बिना प्राण प्रतिष्ठा सही है या नहीं इस सवाल पर गणेश्वर शास्त्री द्राविडजी ने कहा कि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा दो तरह से हो सकती है। एक मंदिर पूरा बनने के बाद और दूसरी मंदिर का निर्माण शेष रहने पर।
क्या राम मंदिर के अधूरे निर्माण में हो सकेगी प्रतिष्ठा
गणेश्वर शास्त्री का कहना है कि जहां मंदिर पूरा बनने के बाद प्राण प्रतिष्ठा होती है वहाँ मंदिर के ऊपर कलश प्रतिष्ठा संन्यासी के द्वारा की जाती है। यहाँ देव प्रतिष्ठा के साथ कलश प्रतिष्ठा होती है वहीं जहां मंदिर का निर्माण शेष हो वहां देव प्रतिष्ठा के बाद कलश प्रतिष्ठा किसी अच्छे मुहूर्त को देखकर की जाती है।
प्रदीप ग्रंथ के 338 पत्र में लिखी है ये बात
प्रदीप ग्रंथ के पत्र 338 का जिक्र करते हुए वह कहते हैं कि जब तक मंदिर में किवाड़ नहीं लगाए जाते, मंदिर के ऊपर छत नहीं होती, वास्तुशांति नहीं की जाती, ब्राहणों के भोजन नहीं होता, माषबलि और पायसबलि नहीं दी जाती तब तक मंदिर की प्रतिष्ठा नहीं होती। लेकिन ये सभी कार्य मुहूर्त को देखते हुए 22 जनवरी से पहले कर दिए जाएंगे।
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