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राम मंदिर की सियासत में क्यों उठ रही बाबरी मस्जिद गूंज

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में 18 दिन बचे है। सभी राजनितिक दल ज़ोर शोर से प्रचार प्रसार कर रही है।सभी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप भी तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। अब प्रचार के इस अंतिम चरण में राम मंदिर का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। राम मंदिर मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाए थे जिसपर बीजेपी के नेता जयभान सिंह पवैया और केंद्रीय कानून राज्य मंत्री एसपीएस बघेल ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

कांग्रेस ने राम मंदिर जताई आपत्ति

हाल ही में बीजेपी ने भोपाल ,इंदौर समेत अन्य शहर में राम मंदिर निर्माण के बड़े नेताओं समेत पोस्टर लगाए थे जिसपर कांग्रेस ने आपत्ति जताई थी और शिकायत लेकर निर्वाचन आयोग पहुंच गए थे।पलटवार करते हुए कांग्रेस से सवाल पूछा कि विधानसभा चुनाव में आखिर राम मंदिर मुद्दे का जिक्र क्यों ना हो।महाराष्ट्र बीजेपी के सह प्रभारी जयभान सिंह पवैया ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि , मंदिर मुद्दे का ज़िक्र तो होगा ही अगर आपको आपत्ति है तो टूटे हुए बाबरी ढांचे का फोटो लगाकर प्रचार करें। हमें कोई आपत्ति नहीं। साथ ही कहा कि , भाजपा ने खून पसीना बहाया है वह राम मंदिर की खुशियां मना सकते हैं, इसे हम चुनाव में जरूर कहेंगे।कांग्रेस के लोग तो अदालत में जाकर राम मंदिर के निर्माण रुकवाने के लिए खड़े हो गए थे।

वहीं केंद्रीय कानून मंत्री एसपीएस बघेल ने भी कांग्रेस पर राम मंदिर की आपत्ति पर जमकर हमला बोला है, एसपीएस बघेल ने कहा कि, राम को कोई भी भूल नहीं सकता है, लेकिन राम के बिना भी कोई कल्पना नही कर सकता है, बीजेपी सरकार में अच्छी पैरवी से पूरा मामला हमारे पक्ष में रहा है। और आज राम मंदिर बन रहा है।

बीजेपी ने दिया कांग्रेस को करारा जवाब

बता दें कि, ग्वालियर में सोमवार को बीजेपी की संभागीय बैठक का आयोजन सम्पन्न हुआ। बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कार्यसमिति सदस्यों को जीत का मंत्र दिया। बैठक के बाद पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए बीजेपी के नेता जयभान सिंह पवैया और केंद्रीय कानून राज्य मंत्री एसपीएस बघेल ने कांग्रेस को आड़ों हाथ। जिसमें कांग्रेस की आपत्ति का मुद्दा उठाया गया। दरअसल , कांग्रेस पार्टी का आरोप था की , बीजेपी द्वारा चुनाव चिन्ह के साथ भाजपा विधानसभा प्रत्याशियों के फोटो लगाकर धर्म के आधार पर लोगों को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है। जिसके बाद से एमपी की राजनीती गर्मायी हुई है।

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