अयोध्या में श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करने का समय करीब है। ऐसे में अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि कौन होगा श्री राम मंदिर का पुजारी। श्री राम मंदिर का जो भी पुजारी होगा वो पूरी तरह से ट्रेंड होगा। देश भर से मंदिर के पुजारी बनने हेतु हजारों आवेदन दिए गए थे पर उनमें से केवल 21 लोगों का चयन किया गया है। इन 21 लोगों में से ही एक होगा अयोध्या के श्रीराम मंदिर का पुजारी।
पुजारियों की ट्रेनिंग हुई शुरू
बताया जा रहा है कि मुख्य पुजारी चुनने के बाद बाकी लोगों को सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इन सभी पुजारियों की ट्रेनिंग शुरू हो गई है । यह ट्रेनिंग छह महीने तक चलने वाली है। अब हम जानते हैं कि आखिर क्यों मंदिर के पुजारी को लेकर ट्रेनिंग की ज़रूरत पड़ गई है और जो भी पुजारी होगा उसमें क्या खास बातें होनी चाहिए।
श्रीराम मंदिर के पुजारी की क्या है खासियत
सबसे बड़ी और सबसे पहली बात यह है कि वह रामानंदीय सम्प्रदाय का पालन करने वाला होना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि जब से राम लला अयोध्या में विराजमान हैं तब से उनकी सेवा इसी सम्प्रदाय के नियमों अनुसार हो रही है। इसका एक और कारण ये भी है कि जब मुगलों ने देश में आक्रमण कर दिया था तब सभी सनातनियों को एक जुट करने का कार्य स्वामी रामानंदाचार्य ने ही किया था। इस लिए तभी से पूरी अयोध्या में रामानंदीय सम्प्रदाय से ही पूजा की जाती है। इस के अनुसार श्रीराम और माता सीता को अपना इष्ट माना जाता है।
ट्रेनिंग सर्टिफिकेट के क्या होंगे फायदे
श्रीराम मंदिर के पुजारी बनने हेतु सभी 21 अर्चक इस समय ट्रेनिंग पर हैं । इन्हें राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा ट्रेनिंग दी जा रही है। किसी एक को पुजारी की पदवी मिलेगी और बाकी बचे हुए लोगों को सर्टिफिकेट दिए जाएंगे। इन सर्टिफिकेट की मदद से वह किसी भी मंदिर में पुजारी बन सकते हैं।
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