भारत सरकार ने हालही में तीन ऐसी हस्तियों को मरणोपरांत भारत रत्न दोने की घोषणा की है जिनके देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहे हैं। इन नामों में एक नाम है प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जो केवल 23 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने। लेकिन इतने कम समय में भी उन्होंने ऐसे काम कर दिखाए जिनकी तारीफ आज भी हर राजनेता करता है।
जब चौधरी चरण सिंह बन गए किसान
साल 1979 में प्रधानमंत्री रहे चौधरी चरण सिंह एक बार एक शिकायत पर जनपद के ऊसराहार पुलिस स्टेशन पहुँच गए। लेकिन नेता बनकर नहीं बल्कि 75 साल के एक गरीब किसान का रूप लेकर। वह किसान के भेष में जैसे ही पुलिस स्टेशन के अंदर आए तो उन्हें कोई पहचान नहीं पाया। चौधरी ने एक सिपाही से पूछा कि दरोगा साहिब हैं तो जवाब मिला कि वह तो नहीं हैं। पुलिसकर्मियों ने पूछा कि आप कौन हैं और यहां क्यों आए हैं। चौधरी ने बताया कि वह एक किसान हैं और जेबकतरों ने उनकी जेब काट ली है।वह बताते हैं कि बैल खरीदने के लिए वो पैसे लेकर आए थे जिसे चोर चुराकर ले गए। किसान पुलिस कर्मियों से बिनती करते हैं कि उनकी कम्प्लेन लिख लें पर पुलिस वाले नहीं मानते।
किसान बने चौधरी की नहीं लिखी रिपोर्ट
चौधरी चरण सिंह ने रिपोर्ट लिखने की गुहार लगाई पर किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। जिसके बाद वह थाने से बाहर जाने लगे तो एक सिपाही को उनपर दया आ गई। वह उनसे कहता है कि रिपोर्ट लिख देंगे पर कुछ खर्चा पानी लगेगा। चौधरी ने पूछा कितना तो सिपाही ने 100 रूपए बता दिए। उस समय सौ रूपए की कीमत काफी होती थी तो कम कराते कराते बात 35 रूपए पर आ गई। सिपाही ने थानेदार को बात बताई फिर थानेदार ने रिपार्ट लिखी।
चौधरी चरण सिंह ने लिया बड़ा एक्शन
इसी दौरान उनसे पूछा कि दादा अंगूठा लगाओगे या हस्ताक्षर करोगे। चौधरी ने कहा हस्ताक्षर जिसके बाद फाईल पर हस्ताक्षर कर चौधरी ने अपनी जेब से मौहर निकाली और आगे रखे स्टंप पैड को खीचा और प्रधानमंत्री भारत सरकार की मौहर ठोक दी। जिसके बाद पुलिस थाने में मौजूद सभी लोगों के पसीने छूट गए। बाद में उनका पूरा काफिला भी थाना पहुँच गया और पूरे थाने को नीलंबित कर दिया गया।
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