कार्तिक मास की शुरुआत 29 अक्टूबर से हो गई है। इस मास में मुख्य रूप से भगवान विष्णु की आराधना की जाती है. इस मास में तुलसी का पौधा लगाया जाता है और तुलसी विवाह भी शुभ माना जाता है.इस श्रेष्ठ मास में दान करने और जाप करने से उत्तम फल की प्राप्ती होती हैं.सनातन धर्म में इस मास की बहुत महिमा बताई गई है।
कार्तिक मास का महत्व
विशेषकर कार्तिक में दीप दान करने से शुभ फल मिलता है.सनातन धर्म में कार्तिक का महत्व सभी मासों से अधिक बताया गया है. इस विष्णु भगवान और माँ शक्ति की विशेष कृपा भक्तों पर बनी रहती है.
माना जाता है कि जिस प्रकार पुरुषोत्तम मास को भगवान श्री कृष्ण का मास कहा जाता है वैसे ही कार्तिक मास को प्राण प्रिया श्री राधा का मास कहा जाता है।इस मास में सुबह सूर्य उदय से पहले उठकर स्नान,ध्यान,जाप करना चाहिए।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
कार्तिक मास में सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए।इस मास में तुलसी जी के पौधे का रोपण शुभ माना जाता है साथ ही माँ तुलसी की पूजा अर्चना से विशेष फल मिलता है।कार्तिक मास में दीप दान का भी महत्व है।किसी भी तालाब,नदी,पोखर आदी पर दीप दान करना श्रेष्ठ बताया गया है ।
इस माह में घर की देहरी पर भी दीपक जलाना चाहिए।इस मास में यदि भूमी पर शयन किया जाए तो यह काफी लाभदायक रहता है।इस महीने में शरीर में तेल लगाना वर्जित बताया गया है महीने में केवल एक दिन नरक चतुर्दशी के दिन ही तेल लगाया जाता है।यदि इस माह में कोई दोपहर में सयन करता है तो उसकी आयु की हानी होती है।
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