Waqf Bill Becomes Law : भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से लाए गए Waqf Amendment Bill, 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपनी मंजूरी दे दी है। यह विधेयक संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – में लंबी और गरमागरम बहस के बाद पारित हुआ था।
राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही यह विधेयक अब कानून बन गया है, जिसे “यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) एक्ट, 2025” के नाम से जाना जाएगा। इस नए कानून के लागू होने से वक्फ बोर्ड और उसकी संपत्तियों के संचालन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की उम्मीद जताई जा रही है।
Waqf Bill Becomes Law : पारित होने से लेकर, मंजूरी मिलने तक
वक्फ (संशोधन) विधेयक को पहली बार अगस्त 2024 में संसद में पेश किया गया था। इसके बाद विभिन्न राजनीतिक दलों और मुस्लिम संगठनों के विरोध के चलते इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया। JPC की सिफारिशों के आधार पर इसमें संशोधन किए गए और इसे बजट सत्र के दौरान संसद में पारित कर दिया गया।
लोकसभा में 12 घंटे की मैराथन बहस के बाद 288 सांसदों ने इसके पक्ष में और 232 ने विरोध में मतदान किया। वहीं, राज्यसभा में 17 घंटे से अधिक की चर्चा के बाद 128 वोटों के समर्थन और 95 वोटों के विरोध के साथ यह पारित हुआ। यह राज्यसभा में अब तक की सबसे लंबी बहस में से एक थी।
इसके बाद 5 अप्रैल, 2025 को विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया, और 6 अप्रैल की रात को राष्ट्रपति ने इस पर हस्ताक्षर कर इसे कानून में बदल दिया।
नए कानून के मुख्य प्रावधान
इस नए कानून का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाना है। इसके तहत वक्फ परिषद में चार गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान किया गया है। जिसमें दो महिलाएं होंगी।
वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों यह निर्धारित करेंगे कि कोई संपत्ति वक्फ की है या सरकारी। यह कदम वक्फ संपत्तियों से संबंधित विवादों को कम करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। इसके अलावा, 1923 के मुसलमान वक्फ अधिनियम को भी निरस्त कर दिया गया है, जो स्वतंत्रता से पहले का कानून था।
सरकार का दावा और विपक्ष का विरोध
केंद्र सरकार ने इस कानून को सामाजिक-आर्थिक न्याय, पारदर्शिता और समावेशी विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “सीमांत वर्गों के लिए आवाज और अवसर” प्रदान करने वाला कदम बताया है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह कानून गरीब मुस्लिमों के हित में है।
हालांकि, विपक्षी दलों में शामिल कांग्रेस, AIMIM और AAP, ने इसका कड़ा विरोध किया है। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, उनका दावा है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के धार्मिक स्वायत्तता पर हमला है और संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 का उल्लंघन करता है।
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