Waqf Amendment Bill Passed : 4 अप्रैल 2025 को भारत की संसद ने Waqf Amendment Bill को मंजूरी दे दी, जिसे एक लंबी और तीखी बहस के बाद लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पारित किया गया। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार लाने के उद्देश्य से लाया गया था, जिसे लेकर सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच गहरे मतभेद देखने को मिले।
इस विधेयक के पारित होने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “सामाजिक-आर्थिक न्याय, पारदर्शिता और समावेशी विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक क्षण” करार दिया।
लोकसभा में पारित: 12 घंटे की बहस
Waqf Amendment Bill को सबसे पहले लोकसभा में 2 अप्रैल को पेश किया गया। इसके बाद 12 घंटे से अधिक समय तक चली बहस में सत्तारूढ़ NDA और विपक्षी दलों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। NDA ने इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय, खासकर गरीबों और महिलाओं के लिए लाभकारी बताया, जबकि विपक्ष ने इसे “संविधान विरोधी” और “मुस्लिम विरोधी” करार दिया।
बहस के बाद मतदान में विधेयक को 288 सांसदों के समर्थन से पारित कर दिया गया, जबकि 232 सांसदों ने इसका विरोध किया। गृह मंत्री अमित शाह ने इस दौरान मुस्लिम समुदाय को आश्वासन दिया कि यह विधेयक उनकी धार्मिक प्रथाओं में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
राज्यसभा में मंजूरी: 13 घंटे की जद्दोजहद
लोकसभा से पारित होने के बाद यह विधेयक 3 अप्रैल को राज्यसभा में पेश किया गया। यहां भी करीब 13 घंटे तक चली बहस के बाद, शुक्रवार सुबह 4 बजे के आसपास इसे मंजूरी मिली। राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 128 वोट पड़े, जबकि 95 सांसदों ने इसका विरोध किया।
बहस के दौरान विपक्षी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर अल्पसंख्यकों के अधिकार छीनने का आरोप लगाया, वहीं केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे “सबका साथ, सबका विकास” के मंत्र का हिस्सा बताया। रिजिजू ने कहा कि इस विधेयक में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की सिफारिशों को शामिल किया गया है, जिससे यह और प्रभावी बनेगा।
Waqf Amendment Bill : मुख्य बिंदु
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 में कई बदलाव किये गए हैं, जैसे कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना, केवल 5 साल से अधिक समय से इस्लाम का पालन करने वाले व्यक्तियों को संपत्ति दान करने की अनुमति, और सरकारी जमीन को वक्फ संपत्ति के रूप में दावा करने पर रोक।
सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ प्रशासन में पारदर्शिता लाएगा और गरीब मुस्लिमों को लाभ पहुंचाएगा। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि यह संविधान के मूल ढांचे पर हमला है। कांग्रेस ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की है।
लोक सभा और राज्य सभा से पास होने के बाद अब यह बिल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास हस्ताक्षर के लिए जाएगा। इसके लागू होने के बाद वक्फ बोर्ड के कामकाज में बड़े बदलाव की उम्मीद है।
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