देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR 2.0) की प्रक्रिया सोमवार रात से शुरू हो गई है। चुनाव आयोग ने अंडमान-निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की वोटर लिस्ट फ्रीज कर दी है। यह प्रक्रिया 7 फरवरी 2026 तक चलेगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि अब राज्य सरकारें प्रशासनिक बदलाव के लिए आयोग से अनुमति लेंगी। बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं को प्रपत्र देंगे और अधिकतम तीन बार विजिट करेंगे। जिनके नाम पहले की सूची में हैं, उन्हें कोई अतिरिक्त दस्तावेज जमा नहीं करना होगा। मतदाता ऑनलाइन भी फॉर्म भर सकेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, आधार कार्ड अब पहचान के लिए मान्य है, लेकिन इसे निवास या नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाएगा। कुल 12 दस्तावेजों को पहचान के लिए स्वीकार किया गया है।
बिहार के बाद यह दूसरा चरण है, जिसमें करीब 51 करोड़ मतदाताओं की सूची अपडेट होगी। 5.33 लाख बीएलओ और 7 लाख से अधिक बीएलए इस काम में जुटेंगे। अगले साल चुनाव वाले पश्चिम बंगाल में भी यह प्रक्रिया होगी, जबकि असम में नागरिकता जांच के कारण अलग तिथि तय की जाएगी। चुनाव आयोग का कहना है अब मतदाता सूची में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित की जाएगी।
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