उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन में लगी Vikramaditya Vedic Clock अब PMO और संसद भवन की भी शोभा बढ़ाएगी। आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के वक्त CM मोहन यादव ने वैदिक घड़ी के छोटे स्वरूप को प्रधानमंत्री मोदी को भी भेंट किया था। अब सरकार ने इसे देश के प्रमुख संस्थानों और मंदिरों में भी स्थापित करने की घोषणा की है।
Vikramaditya Vedic Clock के डिजिटल स्वरूप को आने वाले दिनों में बाज़ार में भी लॉन्च किया जाएगा। विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्री राम तिवारी ने जानकारी दी है कि 30 मार्च को गुड़ी पड़वा के अवसर पर वैदिक घड़ी के डिजिटल एप्प को भी लॉन्च किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस वैदिक घड़ी में एक चिप लगी होगी जो बिजली जाने के बाद भी ऑटोमेटिक टाइम ज़ोन के अनुसार सेट हो जाएगी।
Vikramaditya Vedic Clock की खासियतें :
24 के बजाय 30 घंटे होंगे
दुनिया की पहली वैदिक घड़ी मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। आपको बता दें कि इस वैदिक घड़ी में 24 के बजाय 30 घंटों की टाइमिंग होगी। एक घंटा 60 मिनट का नहीं बल्कि 48 मिनट का होगा। यह घड़ी IST और GMT की की जानकारी देने के साथ ही शुभ मुहूर्त, पर्व, सूर्य और चंद्र ग्रहण की भी जानकारी देगा। आपको बता दें कि यह घड़ी भारतीय पंचांग के आधार पर समय बताती है।
विरासत के साथ विकास
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी 189 भाषाओं में तैयार किया जा रहा है। ताकि विदेशों में भी इसे बढ़ावा दिया जा सके। इस घड़ी की एक और खसियत है जो इसे यूनिक बनाती है। यह वैदिक घड़ी इंटरनेट और जीपीएस से भी जुड़ी हुई है।
इस घड़ी में 1 से 12 के स्थान पर ब्रह्मा, अश्विनौ, त्रिगुणा, चतुर्वेदा, पंचप्राणा, षड्सा, सप्तर्षय, अष्टसिद्धिय, नवद्रव्याणि, दशदिश, रुद्रा और आदित्या लिखा है।

उज्जैन में ही क्यों हुई स्थापित
उज्जैन, प्राचीन काल में कालगणा का केंद्र रहा है, इसलिए उज्जैन स्थित जोय्तिर्लिंग को महाकाल के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उज्जैन की भौगोलिक स्थिति को केंद्रीय मध्याह्न रेखा (central meridian) माना जाता है। यह रेखा एक काल्पनिक रेखा है, जो पृथ्वी को दो भागों में विभाजित करती है।

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