Vantara: सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित SIT ने वनतारा को क्लीन चिट दे दी है। कोर्ट ने SIT रिपोर्ट का अवलोकन करते हुए कहा कि वे केवल सारांश को ही आदेश का हिस्सा बनाएंगे।
जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस पी.बी. वराले की पीठ ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया और कहा कि एसआईटी के अधिकारियों ने वंतारा में अनुपालन और नियामक उपायों के मुद्दे पर संतुष्टि व्यक्त की है।
SIT की रिपोर्ट बीते शुक्रवार को पेश की गई और एससी ने सोमवार को इसका अवलोकन किया। जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हाथियों के अधिग्रहण के कानूनों का पालन न करने के आरोपों पर वनतारा के खिलाफ जांच करने के लिए एसआईटी को गठित किया था।
जिसका नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जे. चेलामेश्वर ने किया। इस टीम में उत्तराखंड और तेलंगाना हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस राघवेंद्र चौहान, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले और वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी अनिश गुप्ता भी शामिल रहे।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पंकज मितल और जस्टिस प्रसन्ना वराले की बेंच ने कम समय में इस रिपोर्ट को पेश करने के लिए एसआईटी की सराहना की। वनतारा के एडवोकेट हरीश साल्वे ने आदालत से अपील की और कहा कि हम नहीं चाहते कि पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक किया जाए।
हरीश साल्वे का कहना है कि दुनिया में बहुत से लोग हमसे व्यावसायिक प्रतिद्वंदिता रखते है। जो इस जानकारी का दुरुपयोग कर सकते है। जिस पर जस्टिस मिथल ने सवाब देते हुए कहा कि कोर्ट ऐसा नहीं होने देगा। हम इसआईटी रिपोर्ट आपको देंगे ताकि आप जरूरत के हिसाब से सुधार कर सकें।
याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा था कि वंतारा में कानूनों का पालन नहीं किया जा रहा है साथ ही मंदिर के हाथियों को वनतारा में अच्छे से नहीं रखा जा रहा, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने बोला कि ‘आप कैसे जानते है कि वहां मंदिर के हाथी को अच्छे से नहीं रखा जा रहा?’
आगे कोर्ट ने कहा कि हमारे देश में कई चीजें है, जिन पर हम गर्व कर सकते है। उन्हें व्यर्थ के विवादों में नहीं उलझाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई हाथी को रखना चाहता है और पूरे नियमों का पालन कर ऐसा करता है तो क्या गलत है।