US के व्हाइट हाउस ने एक रिपोर्ट निकाली है जिसमे उन्होंने ये बताया है कि वो सूर्य की रौशनी को पृथ्वी पर आने से रोकने के उपर शोध करना चाहते है. इस प्रक्रिया को सोलर रेडिएशन मॉडिफिकेशन (SRM) कहते है. उनका मानना है की इस से पृथ्वी को और ठंडा किया जा सकता है. और उसमे वक़्त भी काफी कम लगेगा.
इसमें सूरज की गर्मी को धरती तक आने से रोकने के लिए धूल और भाप की एक दीवार खड़ी कर दी जाएगी. उसके बाद ही उन्होंने फिर ये साफ कर दिया की ये बस रिसर्च तक ही सीमित होगा, अभी इस पर कोई कदम नहीं उठाए जाएंगे. आज जब ग्लोबल वार्मिंग अपने चरम सीमा पर है, सभी इसी खोज मे है की इसे नियंत्रण मे कैसे लाया जाए. आए दिन किसी न किसी रिपोर्ट से ये मालूम पड़ता है की पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है. और इस SRM के ऊपर कई दिनों से रिसर्च जारी है पर सभी शोधकर्ता अलग अलग अनुमान लगा रहे है| इसलिए यह ढंग काफी विवादित है.
कुछ समय पहले यूनाइटेड नेशन्स इनवायरमेंट प्रोग्राम (UNEP) की एक रिपोर्ट आई, जो कहती है कि ग्लोबल वार्मिंग घटाने के लिए सूरज को ढांपने की तकनीक जानलेवा साबित हो सकती है.

कौन से तरीकों की बात हो रही है?
पहला तरीका है मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग जिससे समुद्र के ऊपर बनने वाले बदल को और सफेद कर दिया जाएगा जिससे सूर्य की किरणें स्पेस में ही वापस रिफ्लेक्ट हो जाए और दूसरा तरीका है स्ट्रेटोस्फेरिक एयरोसोल इंजेक्शन. इस प्रोसेस में साइंटिस्ट बड़े-बड़े गुब्बारों के जरिए वायुमंडल के ऊपरी हिस्से पर सल्फर डाइऑक्साइड का छिड़काव करेंगे. सल्फर सूरज की किरणों को परिवर्तित कर सकता है.
कई वैज्ञानिकों और जानकारों का मानना है की ये लास्ट लाईन ऑफ़ डिफेन्स है. सभी देश अगर ग्रीन हाउस गैस को किसी भी तरीके से नियंत्रण में लाने मे नाकाम होते है तो इसक बारे में सोचा जा सकता है क्योंकि इसके फायदे से ज्यादा नुकसान होने की संभावनाएं है.
हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड जैसी यूनिवर्सिटी भी इस रिसर्च पर जोरों शोरों से लगी हैं. एक तरफ जहां यह रिसर्च ग्लोबल वार्मिंग को कम करेगी, दूसरी ओर इसके जलवायु तंत्र पर बहुत गहरे प्रभाव कर सकते है.