Union Carbide Waste Disposal : यूनियन कार्बाइड के कचरे के निपटान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (27 फरवरी 2025) को बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा कि Union Carbide के निपटान से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करेगा, क्यूंकि यह मामला पहले से ही मध्य प्रदेश उच्च न्यालय की निगरानी में है।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया, जिसमें भोपाल गैस त्रासदी स्थल से 337 मीट्रिक टन जहरीले रासायनिक कचरे को पीथमपुर में नष्ट करने का निर्देश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी को कोई शिकायत है, तो वे हाई कोर्ट में अपनी बात रख सकते हैं।
क्या है पूरा मामला ?
यह मामला 2004 से चल रहे एक जनहित याचिका से जुड़ा है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार पर भोपाल के यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के आसपास जहरीले कचरे को साफ न करने का आरोप था। 3 दिसंबर 2024 को हाई कोर्ट ने इसे “दुखद स्थिति” बताते हुए कचरे को तुरंत हटाने का आदेश दिया। वकील ने 17 फरवरी को हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि पीथमपुर के पास लोग रहते हैं और नदी भी है, जिससे खतरा हो सकता है। लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया।
कचरे के निपटान की प्रक्रिया शुरू
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आज Union Carbide के कचरे के निपटान का पहला दिन है। आज पीथमपुर के रामकी एनवायरो में 10 टन कचरे का निपटान होगा, जिसमें 17 से 18 घंटे का समय लगेगा। कचरे के निपटान के समय रामकी एनवायरो कंपनी के अंदर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की टीम मौजूद रहेगी। कम्पनी के आस-पास सुरक्षा के कड़े इंतेज़ाम किए गए हैं। बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी मौजूद हैं। कचरे के निपटान में उसे जलाने से लेकर लैंडफिल में दबाने तक की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा।
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