मध्य प्रदेश में डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री की शपथ 13 2023 दिसंबर को ली। इसके बाद से ही यादव एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं लेकिन यादव को पांच साल सरकार चलाना बड़ा ही कठिन भरा रहने वाला है क्योंकि पिछली सरकार में प्रदेश पर लाखों करोड़ का कर्ज है जिसे पार पाना इतना आसान नहीं रहने वाला है। साथ ही महिलाओं के साथ घटी घटना, प्रदेश में बेरोजगोरी भी मोहन यादव की सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। तो आइए जानते हैं पांच वो प्वाइंट्स के बारे में जिस पर मौजूदा सरकार को सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है ताकि प्रदेश नए आयाम पर जा सके।
एमपी पर बढ़ता हुआ कर्ज
मध्य प्रदेश पर फिलहाल बहुत ही कर्ज है। जिसकी वजह से आम जनता पर भी प्रभाव पड़ सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एमपी पर 4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। जबकि इस साल की एमपी सरकार की बजट 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ रहा था। अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि कर्ज से लदे मोहन यादव की सरकार कैसे पार पाएगी?
मोहन यादव सरकार पर बजट से ज्यादा कर्ज
मध्य प्रदेश पर बजट से ज्यादा कर्ज है। इस साल शिवराज सरकार ने विधानसभा में 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था। जिसमें कई तरह की योजनाओं का जिक्र किया गया था। इन्हीं योजनाओं में से एक मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना भी रहा। प्रदेश की पिछली शिवराज सरकार ने कई किश्तों में कर्ज लिया है। जिसका भरपाई करना मोहन यादव की सरकार के लिए मुश्किलों से भरा रहने वाला है।
इस साल लिए गए कर्ज का विवरण
25 जनवरी 2023- 2000 करोड़
02 फरवरी 2023- 3000 करोड़
09 फरवरी 2023- 3000 करोड़
16 फरवरी 2023-3000 करोड़
23 फरवरी 2023- 3000 करोड़
02 मार्च 2023- 3000 करोड़
09 मार्च 2023- 2000 करोड़
17 मार्च 2023- 4000 करोड़
24 मार्च 2023- 1000 करोड़
29 मई 2023- 2000 करोड़
14 जून 2023- 4000 करोड़
12 सितंबर 2023-1000 करोड़
महिला अपराध के मामले में अव्वल नंबर पर एमपी
मध्य प्रदेश में महिलाओं के साथ दुर्व्यहार में नबंर वन पर है। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के जरिए संसद में बताया था कि एमपी में साल 2019 से लेकर 2021 तक 1 लाख 60 हजार महिलाओं का अपहरण हुआ है। जिनमें 38 हजार से ज्यादा लड़कियां शामिल हैं। जानकारी के लिए बता दें कि ये आकंड़ा महज दो सालों का है अगर 2022 और 2023 के आकंड़े सामने आए तो ये दो लाख के पार भी जा सकता है। मोहन यादव की सरकार के लिए ये सबसे बड़ा चुनौती रहने वाला है कि वो महिलाओं की गुमशुदगी पर नियंत्रण कैसे रख पाते हैं।
प्रदेश मे बेरोजगारी दर जबरदस्त
मध्य प्रदेश की बेरोजगारी दर हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। मध्य प्रदेश में अगर बेरोजगारों की संख्या की बात की जाए तो राज्य में 24,77,000 बेरोजगार सूचीबद्ध हैं। इसमें पिछले साल के 5,46,000 बेरोजगारों के आंकड़े को और जोड़ गया है। जिसकी संख्या 30 लाख 23 हजार तक पहुंच गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सबसे कम बेरोजगारी दर में मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर है।
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अगस्त 2022 के हिसाब से मध्य प्रदेश की बेरोजगारी दर 3.52% रही। जिनमें पुरुषों की बेरोजगारी दर 3.48% और महिलाओं की 4.91% भागीदारी है। हालांकि, इस दर पर कांग्रेस पार्टी हमेशा से सवाल उठाती रही है। उनका कहना है कि ये आंकड़े सत्य से परे हैं। हाल ही में कांग्रेस के पूर्व विधायक पीसी शर्मा ने दावा किया था कि प्रदेश में 49 लाख से ज्यादा युवा बेरोजगार है जिन पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है। अगर सरकार द्वारा दिए गए आकंड़ों की मानें तो फिलहाल प्रदेश में 30 लाख लोग बेरोजगार हैं जिन पर मोहन यादव को काम करना और उन्हें रोजगार दिलाना चुनौती भरा हो सकता है।
क्या एमपी को टॉप-5 में ला पाएंगे मोहन यादव?
देश की जीडीपी में मध्य प्रदेश का योगदान 4.8 फीसदी है। पहले ये आंकड़ा 3.6 फीसदी था। मौजूदा समय में प्रदेश के हर व्यक्ति की वार्षिक आय 1 लाख 40 हजार है। GSDP के आकंड़े (2021-22) के मुताबिक, मध्य प्रदेश की देश की जीडीपी में 10वां स्थान है। इसकी साल भर की GSDP( Gross State Domestic Product) 120 बिलियन डॉलर है। मोहन यादव को अपने आप को एक अच्छे प्रशासक के तौर पर स्थापित करना है तो राज्य की जीडीपी पर ध्यान देना होगा ताकि मध्य प्रदेश टॉप पांच राज्यों की लिस्ट में आ सके।
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