हमारे देश के जीव जंतुओं में बाघों को एक विशेष स्थान दिया गया। साथ ही बाघ हमारे देश का राष्ट्रीय पशु भी है। भारत के प्रसिद्ध वाइल्ड्लाइफ पर्यटन स्थलों में से एक मध्य प्रदेश में बाघ हमेशा से ही पर्यटन का एक बड़ा आकर्षण रहे हैं । इसे टाइगर स्टेट की उपाधि भी दी गई। बता दें कि भारत में टाइगर रिजर्व को साल 1973 से स्थापित किया जाने लगा। जहां बाघों की सबसे अधिक संख्या मध्य प्रदेश में दर्ज की गई। जानवरों की श्रेणी में बाघ बिल्ली की प्रजाति में आता, इसका वैज्ञानिक नाम पेंथेरा टाइग्रिस है। तो आइए एक नजर डालें मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व पर जहां आपको बाघ की दहाड़, शानदार हाथी की चिंघाड़, मोर का नाच,और लाखों पक्षियों की चहचहाहट सुनने और देखने को मिलेगी।
कान्हा टाइगर रिजर्व
मध्यप्रदेश के मंडला और बालाघाट जिले में स्थित कान्हा टाइगर रिजर्व को 1973 में बनाया गया । यह आधिकारिक तौर पर एक शुभंकर, भूरसिंह और बारहसिंघा पेश करने वाला भारत का पहला टाइगर रिजर्व भी है। मुख्य रूप से पाए जाने वाले बंगाल टाइगर और बारहसिंगा को देखने के लिए लोग दुनिया भर से आते , इसके अलावा प्राकृतिक रूप से भी यह टाइगर रिज़र्व बहुत समृद्ध है। यहा आपको बाघ के अलावा विलुप्त प्राय श्रेणी का जानवर बारहसिंगा, तेंदुए, जंगली कुत्ते, लोमड़ी, लकड़बग्घा और सुस्ती भालू जैसे शिकारी जानवर भी देखने को मिलेंगे।
पेंच टाइगर रिजर्व
देश का सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिजर्व होने का गौरव प्राप्त करने वाले पेंच राष्ट्रीय उद्यान को 1993 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। सिवनी और छिंदवाड़ा जिले में स्थित इस टाइगर रिजर्व का नाम इसे दो भागों में बांटने वाली पेंच नदी के नाम पर रखा गया। खूबसूरत झीलें, रंग बिरंगे पक्षियों का कलरव, शीतल हवा के झोंके, सोंधी-सोंधी महकती माटी, वन्य प्राणियों का यह अनूठा संसार रोमांच से भर देता है। यह आपको पैंथर और बाघों के अलावा, चीतल, काले हिरण, काले नेप्ड खरगोश, लकड़बग्घा, उड़ने वाली गिलहरी, सांभर, लोमड़ी, जंगली सूअर, साही, सियार, चार सींगा, नील गाय आदि जंतुओं को देखने का अवसर प्राप्त होगा।
पन्ना टाइगर रिजर्व
पन्ना टाइगर रिजर्व को 1995 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया और प्रोजेक्ट टाइगर के संरक्षण में रखा गया। यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। पन्ना टाइगर रिजर्व भारत का 22वां टाइगर रिजर्व है और मध्य प्रदेश का पांचवां। बाघ संरक्षण के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व को 25 अगस्त 2011 को यूनेस्को की ‘वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व’ सूची में भी शामिल किया गया। यहा आपको बाघ, चौसिंगा हिरण, चिंकारा, सांभर, जंगली बिल्ली, घड़ियाल, मगरमच्छ, नीलगाय, आदि देखने का मौका मिलेगा।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश के उमरिया जिले मे स्थित है वर्ष 1993 में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान को एक टाइगर रिज़र्व का दर्जा दे दिया गया। भारत के सबसे ज्यादा बाघ इसी जगह पाए जाते हैं। यहा सिर्फ बाघ ही नहीं आपको बांधवगढ़ में तेंदुआ, हिरन और भी कई अन्य जिव जंतु का दीदार करने का मौका मिलेगा । खास बात ये है कि यहां पर चिड़ियों की 250 प्रजाति, स्तनपायी की 37 प्रजाति और तितलियों की करीब 80 प्रजाति मौजूद है। इतना ही नहीं कई तरह के सरीसृप भी यहां मौजूद है।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व
मध्य प्रदेश मे स्थित सतपुड़ा टाइगर रिजर्व उन छह भारतीय स्थलों में से एक है जिन्हें यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल बनने के लिए सूचीबद्ध किया गया। इस टाइगर रिजर्व कि संरचना 1999 मे की गई। साथ ही मैनेजमेंट इफेक्टिवनेश इवेल्युवेशन में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को दूसरा स्थान भी दिया गया और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश का पहला बायोस्फीयर रिजर्व भी है। यहां पर आपको जानवरों में बाघ, तेंदुआ, सांभर, चीतल, भेडकी, नीलगाय, चौसिंगा, चिंकारा, गौर, जंगली सुअर, जंगली कुत्ता, भालू, काला हिरण, लोमड़ी, साही, उड़न गिलहरी, मूषक मृग और भारतीय विशाल गिलहरी देखने का मौका मिलेगा।
संजय टाइगर रिजर्व
संजय टाइगर रिजर्व की स्थापना 2008 में जिले के जैव विविधता से समृद्ध वन क्षेत्र के संरक्षण के लिए की गई थी। संजय टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में स्थित है। सफेद बाघों में सबसे प्रथम बाघ ‘मोहन’ यहीं पाया गया था। बाघों के साथ ही यहां स्लोथ भालू, चीतल, नीलगाय, चिंकारा, सांबर, तेंदुआ, धोल, जंगली बिल्ली, हाइना, साही, गीदड़, लोमड़ी, भेड़िया, पाइथन, चौसिंगा और बार्किंग डियर आपको देखने को मिलेंगे .