मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी टिकट देने के बाद नाराज नेताओं को खुश करने की कोशिश में लगी है. पूर्व एसडीएम निशा बांगरे चुनाव लड़ना चाहती थी, जिसके कारण उन्होनें अपने एसडीएम पद से इस्तिफा भी दे दिया है. निशा बांगरे आमला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने वाली थी. इसी के चलते कांग्रेस ने बैतूल की आमला विधानसभा सीट पर उम्मीदवार के नाम का ऐलान नही किया, लेकिन एसडीएम पद से निशा बांगरे का इस्तीफा स्वीकार करने में सरकार ने देरी कर दी.
निशा बांगरे को अपने पद से इस्तिफा देने में देरी हो गई जिसके बाद कांग्रेस ने बैतूल की आमला विधानसभा सीट पर मनोज मालवे को टिकट दे दिया. इसी के कुछ दिन बाद सरकार ने निशा का इस्तिफा भी स्वीकार कर लिया. इस्तिफा मिलने के बाद निशा निर्दलीय चुनाव लड़ने वाली थी. लेकिन इतना बड़ा फैसला करने के पहले निशा बांगरे पीसीसी चीफ कमलनाथ से मुलाकात करने गई.
पुर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलने के बाद निशा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का अपना मन बदल दिया. कमलनाथ से मुलाकात के बाद निशा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने से इंकार कर कांग्रेस में शामिल हो गई. अब निशा प्रदेश स्तर पर कांग्रेस पार्टी के लिए चुनाव का प्रचार प्रसार करेंगी, क्योंकि कांग्रेस ने निशा बांगरे को कांग्रेस पार्टी का प्रदेश महामंत्री पद दे दिया है. कांग्रेस पार्टी के उपाअध्यक्ष और संगठन प्रभारी राजीव सिंह ने निशा बांगरे को कांग्रेस का प्रदेश महामंत्री बनाने का पत्र जारी कर दिए है. महामंत्री बनने के बाद निशा बोली की अब वह चुनाव नही लडेंगी और जनसेवा करेंगी.
कांग्रेस पार्टी ने रोशनी यादव को भी दिया था पद
ये पहली बार नही है कि कांग्रेस ने टिकट ना मिलने पर नाराज प्रत्याशी को पार्टी का महामंत्री बनाया है. निशा बांगरे के पहले निवाड़ी से रोशनी यादन को टिकट ना मिलने पर वह काफी नाराज हो गई थी. जिसके बाद कांग्रेस ने रोशनी यादव को प्रदेश महामंत्री का बना दिया था. टिकट ना मिलने वाले नाराज नेताओं को कांग्रेस संगठन में पद देकर खुश करती है.
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