आज कल कुछ भी हो सकता है कुछ भी आप सोचियें एक पत्थर जिसकी आप सदियों से पूजा कर रहे हैं अचानक पता चले कि वह एक डायनासोर का अण्डा है। उस पत्थर से आपकी जो श्रद्धा है क्या वही खत्म हो जाएगी। ये कोई कहानी नहीं है एैसा सच में हुआ है। आपको बता दें कि धार जिले के पाड़लिया गांव में हुए एक अजीबोगरीब मामले की चर्चा हो रही है। गांव वाले सालों से जिन पत्थरों को कुल देवता मानकर पूजा अर्चना कर रहे थे, वह करोड़ों वर्ष पहले के डायनासोर के अंडे निकले हैं। नर्मदा घाटी का यह इलाका करोड़ों वर्ष पहले डायनासोर युग से जुड़ा है और करीब 6.5 करोड़ साल पहले डायनासोर के क्षेत्र के रूप में जाना जाता था। हालांकि, अब प्रशासन ने इस अजीबोगरीब मामले में सहायक होने के लिए अंडों की जांच शुरू की है। स्थानीय डायनासोर विशेषज्ञ विशाल वर्मा ने बताया कि हाल ही में तीन वैज्ञानिकों का वर्कशॉप हुआ था, जिसमें वे गांव के लोगों द्वारा पूजे जाने वाले 18 सेंटीमीटर व्यास के गोल पत्थरों की जांच करने में संलग्न थे।
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वैज्ञानिकों ने की पत्थर की जांच
वैज्ञानिक डॉ. महेश ठक्कर, डॉ. विवेक वी कपूर, और डॉ. शिल्पा ने गांव वालों के इस अनोखे पूजा-पाठ को देखकर हैरानी जताई। जांच में पता चला कि गोल पत्थरों की आकृति वास्तव में डायनासोर के अंडों की है, जिसे गांव वाले देवता मानकर पूजते थे। ग्रामीण वेस्ता पटेल ने बताया कि गोल पत्थरों में उनके काकर भैरव वास करते हैं और यह देव पूरे गांव पर कोई संकट नहीं आने देते हैं। लखनऊ से आई वैज्ञानिक टीम ने इस अनोखे मामले की जांच करते हुए पता लगाया कि नर्मदा घाटी के क्षेत्र में डायनासोर के फॉसिल्स जगह-जगह दबे-बिखरे पड़े हैं। मांडू में इसी उद्देश्य से पार्क बनाया जा रहा है ताकि फॉसिल्स को संरक्षित किया जा सके।
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