छतरपुर जिले के कर्री गांव में स्थित बिहारी जू मंदिर अपने अनोखे और रहस्यमयी तरीके के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर जिला मुख्यालय से लगभग 17 किलोमीटर दूर है। यहाँ भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की मूर्तियाँ स्थापित हैं। इस मंदिर की खास बात यह है कि मान्यता के अनुसार भगवान खुद मंदिर से बाहर निकलकर गाँव में भक्तों की समस्याएँ सुनते हैं।

स्थानीय परंपरा के अनुसार, श्यामरी पुरवा और महाराज गंज गांव के लोग साल में एक बार ढोल-नगाड़ों के साथ बिहारी जू मंदिर आते हैं और भगवान को पालकी में बैठाकर अपने गांव लाते हैं। जिस मार्ग से भगवान की पालकी जाती है, उस रास्ते पर लोग शंख और ढोल बजाते हैं।
गांव पहुँचने पर भगवान को एक बड़े चबूतरे पर विराजमान किया जाता है। यहाँ वे पूरे गाँव की समस्याएँ सुनते हैं। सुबह होते ही उन्हें वापस मंदिर में ले जाया जाता है। यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है।

मंदिर के पुजारी का कहना है कि यह परंपरा उनके पिता और दादा के समय से जारी है। पहले गांव के लोग अपने कठिन समय में मंदिर के पुजारी के साथ मिलकर यह निर्णय लिया था कि भगवान को गाँव लाया जाए ताकि वे सीधे भक्तों की परेशानियाँ सुन सकें।
बिहारी जू मंदिर धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। यहाँ आने के लिए सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है। निकटतम हवाई अड्डे इंदौर और खजुराहों हैं।
यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक अनुभव देता है, बल्कि लोगों के विश्वास और श्रद्धा का प्रतीक भी है। यहाँ की अनोखी परंपरा लोगों को अपने जीवन की परेशानियों का समाधान ढूँढने का अवसर देती है।
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