जानिए मध्य प्रदेश के गौरवशाली इतिहास की कहानी …

मैं हूँ भारत का ह्रदय कहे जाने वाला मध्य प्रदेश . मैंने अपने 66 सालों में बहुत कुछ देखा ,सहा है .मैं लगातार तरक्की की राह पर भी अग्रसर हूँ . और आज आपको इस लेख के माध्यम से मेरे इतिहास और वर्तमान की कहानी बताने जा रहा हूँ .इसे धैर्य और समवेत से सुनिए .

ऐसे हुआ मेरा जन्म

मुझे याद है 1 नवंबर 1956 का वो  दिन। जिस दिन  मध्य प्रदेश के रूप में मेरा जन्म हुआ था । दरअसल हुआ यूँ कि इस दिन के करीब 9 वर्ष पहले 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ था। तभी से भारत लगा हुआ था कि कैसे अपने बिखरे-बिखरे राष्ट्र को राज्यों की सीमा में बांधे और अपने विकास को दिशा दे। बाद में तय हुआ कि राज्यों का गठन भाषा के आधार पर हो। इसी दिन भाषायी आधार पर कर्नाटक, हरियाणा, पंजाब और केरल का भी जन्म हुआ। और  चूंकि देश के मध्य में हिंदी ही प्रमुख भाषा थी, इसलिए मुझे अर्थात मध्य प्रदेश को हिंदी भाषी राज्य के रूप में गठित किया गया।

छत्तीसगढ़ को किया अलग

मेरा जो पहला नक्शा बना, उसे देखकर देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू बोले – ‘यह तो ऊंट जैसा लगता है। दरअसल, उस समय छत्तीसगढ़ भी मेरा अंग था, जो ऊंट की टांग जैसा लगता था और ग्वालियर-चंबल वाला हिस्सा ऊंट की ऊंची पीठ जैसा…इसीलिए तो नेहरू ने मुस्कुराते हुए मुझे यह संज्ञा दी थी। बहरहाल, 20वीं सदी पूरी होते ही वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ मुझसे विलग हो गया। मुझे लगा जैसे मेरा अंग-भंग हो गया, कलेजे का टुकड़ा कटकर दूर हो गया। किंतु समय की गति और जनता की जरूरतों के अनुसार छत्तीसगढ़ का अलग होना ज़रूरी था। जबलपुर, इंदौर और भोपाल में अंतत: भोपाल को मेरी राजधानी चुना गया।

शुक्ल बने पहले मुख्यमंत्री

उस समय अन्य राजनीतिक दल शैशव अवस्था में थे। जो भाजपा आज प्रचंड होकर सत्ता में है, तब उसका जन्म नहीं हुआ था। यद्यपि इस पार्टी की विचारधारा तब भारत के हृदय में जड़ें जमा रही थी। मुझे याद है कि 1 नवंबर 1956 को पंडित रविशंकर शुक्ल मेरे प्रथम मुख्यमंत्री बने और सत्ता की कमान कांग्रेस के  हाथ में आई . मेरा जन्म होते ही मेरा विकास-क्रम आरंभ हुआ। शुरुआती पांच वर्ष में ही एक राज्य के रूप में मैंने अपनी व्यवस्था को सुचारू बना लिया। राजकाज ठीक से चलने लगा और जनता के काम होने लगे। पर लगातार मुख्यमंत्री बदलते रहे .

रविशंकर शुक्ल के बाद, भगवंतराव मंडलोई, कैलाशनाथ काटजू, फिर से मंडलोई, उनके बाद द्वारका प्रसाद मिश्र… मुख्यमंत्री हुए .इस बीच 1977 में मुझे पहली बार राष्ट्रपति शासन के हवाले कर दिया गया। इसी कालखंड में मैंने 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के दौर में मेरी स्वतंत्रता का अपहरण हुआ था, मेरे देशप्रेमी बच्चों को जबरन जेल में ठूंस दिया गया था। कानून के डंडे के आगे मेरा लोकतंत्र विवश हो गया और इस तरह मैंने आपातकाल की त्रासदी और क्रूरता भी झेली।

जनता पार्टी का आया दौर

आपातकाल के बाद जब सत्ता बदली तो मध्य प्रदेश में पहली बार भारतीय जनता पार्टी आई . उस वक्त 1977 में कैलाश चन्द्र मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने उनके आते ही काम काज का तरीका बदलने लगा .फिर वीरेंद्र कुमार सकलेचा और सुंदरलाल पटवा भी जनता पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री बने। मैं यह सब देख मुस्कुरा ही रहा था कि तभी 18 फरवरी 1980 से 8 जून 1980 तक फिर राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। जिसकी वजह से फिर मुख्यमंत्री बदला और अब कांग्रेस पार्टी के अर्जुन सिंह को प्रदेश का मुखिया बनाया .

उस वक्त प्रदेश की अर्थव्यवस्था ठीक नहीं थी और ना ही जनता की अच्छी आई थी पर जब 1992 में अर्थव्यवस्था को मुक्त किया गया , तो सब ठीक होने लगा । किंतु इसी बीच अयोध्या के विवाद के चलते 16 दिसंबर 1992 को एक बार फिर मुझे राष्ट्रपति शासन के हवाले कर दिया गया। इस वक्त की राजनीति को मैंने विस्फुरित नज़रों से बदलते हुए देखा था .

मामा रहे लम्बे समय तक मुख्यमंत्री

अब मध्य प्रदेश का अन्धकार युग आया , दरअसल इस समय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बने उनके कार्य काल में राजनीतिक विकास तो हुआ पर प्रदेश पानी ,बिजली और सड़क जैसे विकास में पीछे रह गया . फिर 8 दिसम्बर 2003 को उमा भारती ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली पर कुछ समय बाद ही उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा . उमा ने बाबूलाल गौर को पद की शपथ दिलाई . गौर मुख्यमंत्री बन प्रदेश की समस्याओं पर नजर डाल ही रहे थे की तभी दोबारा सत्ता बदल गयी .

अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर पांव -पांव वाले भैया यानी शिवराज सिंह चौहान को बैठाया . चौहान के उदार ,संवेदनशील व्यक्तित्व को देख कर राजनितिक पंडितो को आशंका हुई की चौहान पद संभाल पाएंगे या नहीं. पर शिवराज ने ये कर दिखाया और अब तक के सबसे लंबे कार्यकाल के मंत्री भी बने .बीच में 17 दिसंबर 2018 से 20 मार्च 2020 तक कांग्रेस के कमल नाथ सत्ता में रहे, पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी कुछ और मंत्रियों के साथ मिलकर कांग्रेस का दामन छोड़ दिया और बीजेपी को अपनाया .जिससे कमलनाथ की बनी बनाई सरकार गिर गयी और दोबारा शिवराज का राज आ गया .

गौरवशाली यात्रा से हूँ प्रसन्न

 66 वर्षों में मैंने कई दौर देखे जिनमे कुछ अच्छे तो कुछ बुरे भी रहे । पर मैं कभी रुका नहीं बस आगे बढ़ता गया .मैंने लगातार कृषि कर्मण अवार्ड जीते। मेरा लाडला बेटा इंदौर देश का सबसे स्वच्छ शहर है। मेरी प्राचीन नगरी,या कहें महाकाल की नगरी  उज्जैन का वैभव श्री महाकाल महालोक के कारण विश्व में और बढ़ गया है। मेरे जंगलों में बाघ की दहाड़ और हाथी की चिंघाड़ के साथ अब चीतों की पदचाप भी सुनाई देती है। मैं अपनी अब तक की यात्रा से प्रसन्न् हूं। उम्मीद है मेरी गौरव यात्रा यूं ही चलती रहेगी।

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