जब भी मनुष्य जीवन में धन संग्रह की बात आती है तो हम अलग अलग बैंक में अपने खाते खुलवा लेते हैं। लेकिन इन बैंकों में रखा हुआ धन केवल हमारे जीवित रहने तक ही हमारे काम आ सकता है। पर अयोध्या में स्थित सीता राम नाम बैंक एक ऐसा बैंक है जहाँ जमा किया हुआ धन मृत्यु के बाद भी हमारा साथ देता है।
सीता राम नाम बैंक
इस अंतरराष्ट्रीय श्रीसीता राम नाम बैंक की ख़ासियत ये है कि इस बैंक में धन के रूप में कोई पैसा नहीं रखा जाता है अपितु यहाँ सीता राम नाम का खाता खोला जाता है। इस बैंक में सीता राम का नाम ही धन के रूप में जमा होता है। इस बैंक में राम नाम की करोंड़ो की राशि जमा की गई है।
कैसे खुलता है इस अनोखे बैंक में खाता
इस बैंक में खाता खुलवाने के लिए व्यक्ति को ढाई लाख बार सीता राम लिखकर जमा करना होता है। जिसके बाद में खाता खुलने का एक लम्बा इंतजार भी करना पड़ता है। बतादें कि अब तक इस बैंक के 28 हजार से ज्यादा खातेदार हैं। सीता राम नाम बैंक के खातदारों को बकायदा पासबुक भी दी जाती है।
सीता राम नाम बैंक की स्थापना
सीता राम नाम बैंक की स्थापना सन 1970 में श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने की थी। तब से अयोध्या के वाल्मीकि रामायण भवन में इसका हेड ऑफ़िस स्थित है। यह बैंक मणि राम दास छावनी में बना हुआ है। साथ ही यह बैंक ना केवल पूरे देश में प्रसिद्ध है बल्कि विदेशों से भी लोग इस बैंक में खाता खुलवाने आते हैं। इस बैंक की अयोध्या के अलावा 136 शाखांए देश भर में मौजूद हैं। यह बैंक अलग अलग भाषाओं जैसे मराठी, गुजराती, बंगाली , तमिल, तेलुगु में भी सेवाएं प्रदान करता है।
राम नाम की राशि को कहाँ जमा किया जाता है
गोपाल दास जी महाराज कहते हैं कि इन करोड़ों की संख्या में जमा किए गए राम नाम को सम्मान के साथ माँ सरयू में जमा कर दिया जाता है। वह बताते हैं कि जो भी धन राशि लोग अपने मन अनुसार दान कर के जाते हैं उसी धन से राम नाम लिखने की कॉपियाँ तैयार की जाती हैं। वह बतादें अभी भी बैंक में जुड़ ने का लिए 10 हजार लोगों की लाईन है। जो भी बैंक में राम नाम का कोई विशेष रिकॉर्ड आदि बनाता है उसे बैंक की ओर से प्रमाण पत्र भी दिया जाता है।
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