मध्यप्रदेश के Sheopur में रची जा रही ‘गजवा-ए-हिंद’ की साजिश…

Sheopur : आज से दो साल पहले फरवरी 2023 की बात है, NIA ने कोर्ट में एक ऐसा खुलासा किया, जिसने पूरे देश को चौंका दिया। NIA ने कोर्ट में PFI का बनाया हुआ 7 पन्नों का एक डॉक्यूमेंट पेश किया। इस डॉक्यूमेंट में भारत को इस्लामिक देश में बदलने की पूरी साजिश रची गई थी। इस डॉक्यूमेंट का नाम था “Towards The Rule Of Islam In India”.

क्या होता है ‘गजवा-ए-हिंद’ ?

गजवा-ए-हिंद में गजवा का अर्थ ‘इस्लाम को फैलाने के लिए की जाने वाली जंग’ से है। इस जंग में शामिल इस्लामिक लड़ाकों को ‘गाजी’ कहा जाता है। यदि आसान शब्दों में समझें तो ‘गजवा-ए-हिंद’ का मतलब भारत में जंग के जरिये इस्लाम की स्थापना करना है। भारत का इस्लामीकरण करना है।

इस्लाम के अनुसार दुनिया को दो हिस्‍सों में बांटा गया है। एक, जहां इस्लाम को मानने वालों का शासन है और दूसरा, जहां इस्लाम मानने वाले लोग रहते तो हैं। लेकिन वहां शासन किसी दूसरे धर्म का है। इस्लाम में मुस्लिम शासन वाले देश को दारुल इस्लाम कहा जाता है। वहीं, गैर मुस्लिम शासन वाले देश को दारुल हर्ब कहा गया है।

दारुल हर्ब एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है ‘युद्ध का घर’. दारुल हर्ब शब्द का इस्तेमाल उन देशों के लिए किया जाता है जहां अल्लाह को नहीं मानने वाले लोगों की बहुमत है।

Sheopur : मध्य प्रदेश को बनाया जा रहा निशाना

भारत सरकार ने 2022 में PFI को एक “गैरकानूनी संगठन” घोषित कर दिया था। मध्य प्रदेश में भोपाल, रायसेन, खंडवा, मंदसौर, और श्योपुर PFI के मुख्य केंद्र बन गए थे। जब पुलिस ने इन ठिकानों पर रेड मारी तो कई लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनसे पूछताछ में पता चला कि राजस्थान के कोटा में उनका ट्रेनिंग सेंटर हुआ करता था।

देश के अन्य ठिकानों से पकड़े गए PFI के सदस्यों ने भी यह खुलासा किया था कि वह अक्सर श्योपुर जाया करते थे। श्योपुर मध्य प्रदेश के पिछड़े जिलों में से एक है। यहाँ 23 प्रतिशत लोग ST और 16 प्रतिशत लोग SC वर्ग के रहते हैं। साथ ही 6 प्रतिशत मुस्लिम वर्ग के भी हैं।

श्योपुर बन रहा मुसलमानों का गढ़

श्योपुर में रहने वाली जनजातियों में ‘सहरिया’ जनजाति के लोग सबसे अधिक रहते हैं। लेकिन वर्तमान में यहाँ एक अलग ही तस्वीर नजर आती है। Aayudh की टीम जब एक मामले की पड़ताल के लिए वहाँ पहुंची तो हकीकत कुछ और ही निकलकर सामने आयी।

Aayudh की मुलाकात गुड्डी बाई से हुयी, जो श्योपुर में ही रहती हैं। वैसे वो खुद को आदिवासी कहती हैं लेकिन रहती हैं एक मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति ‘सलीम’ के साथ।

क्या है पूरा मामला ?

जब Aayudh की टीम श्योपुर पहुंची तब हमारी मुलाकात गुड्डी बाई से हुयी, गुड्डी एक मुस्लिम युवक सलीम के साथ रहती हैं। जब हमनें गुड्डी से उनकी शादी के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उनकी शादी 30 साल पहले हुयी थी। पहले सलीम की बेगम और गुड्डी बाई एक साथ ही रहते थे। आज सलीम भी गुड्डी बाई की ही जमीन पर रह रहा है।

गुड्डी बाई से नाम से लिया लोन

आपको बता दें कि सलीम, गुड्डी बाई को अपने जाल में फंसाकर उसके साथ रहने लगा। फिर गुड्डी बाई के ही नाम से बैंक से लोन लिया। यह लोन सलीम ने अपना नया कारोबार शुरू करने के लिए लिया था। अब खेती भी गुड्डी बाई के नाम से मिली सरकारी जमीन पर की जा रही है।

कैसे हुयी मुलाकात ?

जब Aayudh की टीम गुड्डी बाई से मिली तो गुड्डी बाई ने बताया कि वह एक समय पर काफी परेशान थी। तभी उनकी मुलाकात कासिम से हुयी और कासिम ने उनके घर आना-जाना शुरू कर दिया। कासिम पिछले 3 महीनों से गुड्डी बाई के साथ रह रहा है। इससे पहले कासिम ने एक और शादी कर रखी है। कासिम ने गुड्डी बाई को अपनी जाल में इस कदर फंसाया है की गुड्डी अपना धर्म तक बदलने को तैयार हैं।

जब Aayudh ने कुछ और महिलाओं से बात करने की कोशिश की तब वो बात करने के लिए भी तैयार नहीं हुईं। ऐसा केवल एक मामला नहीं है, बल्कि पूरे श्योपुर इसका एक जाल फैला हुआ है।

मुस्लिम समुदाय के लोग आदिवासियों को बना रहे शिकार

आज से कुछ दिनों पहले इसी श्योपुर के कई वीडियोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे। जब जमातें यहाँ रुक रही थीं। जब बांग्लादेश से आ रहे लोग यहाँ रुक रहे थे। श्योपुर से सटे एक पंचायत में ठेकेदार पप्पू पठान रहता है। जिसकी दूसरी पत्नी आदिवासी महिला ‘फूला’ हैं। फूला ने हाल ही में जिला पंचायत का चुनाव लड़ा था। वह कई 1600 वोटों के अंतर से चुनाव हार गयीं लेकिन पप्पू ने SC सीट से अपने साले को पंचायत का सरपंच बनवा दिया।

अब गांव की सत्ता पप्पू के हाथों में है।

अध्यक्ष, सहरिया आदिवासी समाज : पप्पू पठान ने आज से कई सालों पहले ‘फूला’ नाम की एक आदिवासी महिला से शादी की थी। उसने मुस्लिम धर्म अपना लिया। फूला का भाई यहाँ का सरपंच है। रिश्ते में वह पप्पू का साला लगता है। आदिवासी महिलाओं को फंसाकर उनका फायदा उठाते हैं। सरकारी योजनाओं का भी फायदा उठाते हैं।

ये कोई इकलौता मामला नहीं है, ऐसे कई मामले हैं जिसमें आदिवासी महिलाएं मुस्लिमों की दूसरी और तीसरी पत्नियां बानी हुई हैं। एक व्यक्ति से जब हमनें बात की तो उसने एक और चौंकाने वाला खुलासा किया। उस व्यक्ति ने कहा, शादी-वादी कुछ नहीं करते हैं साहब, ऐसे ही रख लेते हैं। आदिवासी महिलाओं को फंसाकर उसके नाम से पट्टा करवा लेते हैं।

आदिवासी लोगों के लिए सरकार के प्रावधान

आपको बता दें की जनजाति समाज के अधिकारों के लिए सरकार ने कई ऐसे कानून बनाए हैं, जिससे उनकी जमीन को कोई और नहीं खरीद सकता। लेकिन आदिवासी महिलाओं को अपने प्रेम जाल में फंसाकर मुस्लिम समुदाय के लोग तेजी से जमीनों की खरीदारी कर रहे हैं। आदिवासी महिलाओं के नाम पर पट्टे ख़रीदे जा रहे हैं।

सामाजिक संगठनों ने उठाये कदम

इस तरह के कई मामले जब सामने आये तब सामाजिक संगठनों ने भी इसके खिलाफ आवाज उठायी। अनीता सिकरवार जो मध्य भारत प्रांत की संयोजिका हैं, उन्होंने कहा, जिहादी मानसिकता वाले लोगों ने आदवासी महिलाओं को अपना शिकार बनाया है। जब हम उनसे बात करने पहुंचते हैं तब पता चलता है कि कहीं न कहीं उनका शोषण जमीन और सरकारी योजनाओं का फायदा लेने के लिए किया जाता है।

उन्होंने आगे कहा, मुस्लिम समुदाय के लोग आदिवासी महिलाओं को बिना शादी के रख लेते हैं। उनके पास पहले से 2-3 पत्नियां रहती हैं।

अब बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि PFI के लोगों के पास जमीन खरीदने के लिए पैसे आ कहाँ से रहे हैं। झारखंड में हुए खुलासे में पता चला था कि उनके पास ये पैसे बांग्लादेश से आ रहे हैं। उनकी फंडिंग बांग्लादेश से हो रही थी, ताकि बांग्लादेश के आतंकियों को भारत के अलग-अलग राज्यों तक पहुंचाया जा सके।

PFI की साजिश, रिपोर्ट में खुलासा

NIA ने PFI की साजिश को लेकर एक रिपोर्ट बनाई थी। इस रिपोर्ट में खुलासा किया गया था कि PFI के सदस्य झारखंड में एक योजना के तहत वनवासी समुदाय की लड़कियों को फंसाकर शादी कर रहे हैं। ताकि वे आतंकियों को भारत के अन्य राज्यों तक सुरक्षित पहुंचने के लिए एक गलियारा बना सकें।

इसमें बताया गया है कि प्रतिबंधित संगठन PFI ने बैन के बाद बावजूद संथाल भूमि कहे जाने वाले पाकुड़, जामताड़ा, गोड्डा और साहेबगंज जिलों में तेजी से अपना विस्तार किया है। PFI के सदस्य झारखंड में एक योजना के तहत वनवासी समुदाय की लड़कियों को फंसाकर शादी कर रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार अब तक 12 हज़ार से अधिक लड़कियों को फंसाकर PFI के लोगों ने शादी कर ली है।

क्या है PFI ?

PFI का गठन वर्ष 2007 में दक्षिण भारत में तीन मुस्लिम संगठनों के विलय से किया गया था। भारत सरकार ने 2022 में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उससे जुड़े संगठनों पर पाँच साल के लिये प्रतिबंध लगा दिया था। गृह मंत्रालय ने PFI और उसके सहयोगियों को “गैरकानूनी संगठन” घोषित किया था। इनके संबंध ISIS जैसे आतंकी संगठनों से भी थे।

आदिवासियों की सम्पति मुसलमानों के हाथ

जब आयुध से महिलाओं से बात की तो उन्होंने कहा कि वह मुसलमानों की दूसरी और तीसरी पत्नियां बनकर खुश हैं। आपको बता दें कि मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा आदिवासी महिलाओं को फंसाने के पीछे एक गहरी साजिश है। महिलाओं की मौत के बाद महिलाओं की सम्पति पति की हो जाती है , यदि इसे नहीं रोका गया तो आने वाले दिनों में श्योपुर की सारी संपत्ति मुसलमानों के पास होगी।

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WATCH : https://youtu.be/0agzN9_bVP0?si=sCZCs_6hyo83Qw0D

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