शेंगेन एरिया मे यूरोप के 27 देश आते है जिनमे जर्मनी, फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड और स्पेन जैसे देश है। इनमे से किसी भी देश जाने के लिए गैर यूरोपीय लोगों को शेंगेन वीज़ा लगती है।
यूरोप: शेंगेन वीज़ा इन 27 मे से किसी एक देश द्वारा दी जाती है और बाकी 26 देशों मे भी लागू होती है।
शेंगेन वीज़ा मे कैसे डूबे पैसे?
किसी 12 साल से अधिक उम्र वाले भारतीय को एक विज़ा के लिए Rs.8000 के करीब लगते है। पिछले साल 6.5 लाख से भी ज्यादा भारतियों ने आवेदन दिया था। ये आँकड़े कोरोना महामारी के बाद 415% बढ़ गए है। इस साल इन वीज़ा की अस्वीकृति की दर 18% थी। मतलब 1 लाख से भी ज्यादा आवेदनों को रद्द कर दिया गया था। और इसी में बिना वीज़ा के ही लोगों के ₹480 करोड़ मे से लगभग ₹90 करोड़ चले गए।
हालांकि ये अस्वीकृति दर पिछले सालों से कम है। 2021 मे यही 23% से भी ज्यादा थी। पर फिर भी ये विश्व के औसतन दर 17.9% से ज्यादा है। और भारत शेंगेन वीज़ा रद्द होने मे पूरे विश्व मे अल्जेरिया के बाद दूसरे स्थान पर है। शेंगेन वीज़ा आवेदन के लिए व्यापक दस्तावेज़ीकरण की मांग करता है। इसमें यात्रा बीमा, उड़ान आरक्षण, आवास बुकिंग, विस्तृत यात्रा कार्यक्रम, वित्तीय विवरण, रोजगार पत्र और बहुत कुछ का प्रमाण शामिल है।
क्या है वीज़ा रद्द होने की वजह?
विज़ा कैंसल करने के पीछे कई कारण है जैसे आपराधिक पृष्ठभूमि छुपाना, गलत जानकारी भरना पर उनमें से एक बड़ी वजह मानी जाती है की आवेदन कर्ताओं के देश का पासपोर्ट कितना मजबूत है मतलब उस पासपोर्ट से कितने देश जा सकते है। भारत इस लिस्ट मे 85वें स्थान पर आता है मतलब वीज़ा फ्री या वीज़ा ऑन अराइवल के साथ भारतीय बस 59 देश ही घूम सकते है। सबसे पहले आता है जापान जहा के लोग बिना वीज़ा के 193 देश जा सकते है। भारत का स्थान पिछले सालों से काफी आगे बढ़ा है। 2021 मे ये 90वें स्थान पर था और 2022 मे 87वें पर। अस्वीकृति का मतलब न केवल समय और प्रयास की हानि है बल्कि भविष्य के वीज़ा आवेदनों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
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