भारतीय रुपया आज डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। सुबह कारोबार के दौरान रुपया 88.49 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया, जो पिछले रिकॉर्ड 88.46 से भी नीचे है।
रुपया सुबह 10 पैसे गिरकर 88.41 पर खुला था। सोमवार को रुपया 12 पैसे गिरकर 88.31 पर बंद हुआ था। रुपया कमजोर होने की वजह एशियाई करेंसी की कमजोरी और अमेरिकी डॉलर का मजबूत होना बताया जा रहा है। साथ ही अमेरिका ने H1B वीजा फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर कर दी है, जिससे भारत के IT सेक्टर और एक्सपोर्ट पर असर पड़ेगा।
2025 में अब तक रुपया करीब 3.25% कमजोर हुआ है। इसका मतलब है कि विदेशी सामान और सेवाएं महंगी हो जाएंगी। विदेश में पढ़ाई, घूमना और इम्पोर्ट की चीजें भी महंगी होंगी। उदाहरण के लिए, पहले 1 डॉलर के लिए 50 रुपये लगते थे, अब 88.49 रुपये देने पड़ेंगे।
विदेशी निवेश भी कम हो रहा है, जिससे रुपये की गिरावट का दौर थम नहीं रहा है। सोमवार को विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार से 2,910 करोड़ रुपये निकाले, जिससे बाजार में दबाव बढ़ा है।
आज सेंसेक्स और निफ्टी दोनों गिरावट में रहे। डॉलर सूचकांक में भी बढ़त हुई है। इस सबका असर रुपया कमजोर होने पर पड़ा है, जिससे आम लोगों के लिए विदेश खर्च महंगे हो जाएंगे।
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