फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्री का व्रत रखा जाता है। शिव महापुराण के अनुसार इस दिन भगवान शिव लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। लेकिन इस दिन से जुड़ी कई और बातें भी हैं जो इस दिन को और विशेष बना देती हैं। माना जाता है कि इस दिन ही भगवान शिव और माता पार्वति का विवाह हुआ था और इस दिन ही भोलेनाथ ने अपना एकात्म रूप धारण किया था।
पुराणों में इस दिन व्रत और पूजा करने का विशेष महत्व बताया है। इस दिन पूरे दिन का व्रत रखा जाता है और शिवलिंग की चार प्रहरों में पूजा की जाती है। आईए जानते हैं कि इस दिन रखे जाने व्रत की विधि क्या है और पूजा में किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है।
महाशिवरात्री के व्रत की सम्पूर्ण विधि
महाशिवरात्री का व्रत रखने वालों को इस दिन सूर्योदय से पहले ही उठ जाना चाहिए। इस दिन व्रतकर्ता को पानी में तिन और गंगाजल डालकर स्नान करन चाहिए। स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
पुराणों के अनुसार इस व्रत में पानी भी नहीं पीना चाहिए लेकिन अगर इस तरह की कठिन विधि का पालन ना हो तो व्रत करने वला इस दिन पानी , दूध और फल का सेवन कर सकता है परंतु इस व्रत में अन्न पूरी तरह से वर्जित है। व्रत करने वाले को सुबह और शाम दोनों वक्त स्नान करना चाहिए और सुंदर वस्त्रादि पहन कर शिव मंदिर में दर्शन करना चाहिए।
भगवान शिव की पूजा करने की विधि
शिवरात्रि के दिन स्नान कर के भगवान शिव के मंदिर में दर्शन करना चाहिए। इस दिन भक्त को अपने मस्तक पर चंदन से त्रिपुंड लगाना चाहिए और गले में रूद्राक्ष की माला को धारण करना चाहिए। इस दिन रात के चारों प्रहर में भगवान शिव की पूजा की जाती है इस दौरान शिवलिंग का दूध, दही, घी, शक्कर, और जल से अभिषेक कराया जाता है। पूजा करते वक्त भक्तों को ओम् नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।