फरवरी 2022 के केच में पाकिस्तानी सैन्य शिविरों पर बलूच लड़ाकों द्वारा यह पाकिस्तानी सेना पर सबसे घातक हमलों में से एक था।
पाकिस्तान: 12 जुलाई को हुए हमले में कम से कम 12 पाकिस्तानी सेना के जवान मारे गए। हमला बलुचिस्तान और सिंध के इलाके मे हुआ था।
पाकिस्तानी सेना पर कहा हमले हुए है?
रिपोर्ट के मुताबिक इन हमलों के पीछे कई अलग आतंकवादि संगांठनो के नाम सामने आये है जैसे तेहरिक-ए-जिहाद पाकिस्तान(TJP), वह संगठन जो तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान(TTP) से संबद्धता का दावा करता है और बलूचिस्तान लिबरेशन टाईगर(BLT)। दरअसल अलग अलग नाम खुफिया एजेंसी को गुमराह करने के लिए दिए जाते है।
इन हमलावरों का कहना है की पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान के बेकसूर आम जनता को प्रताड़ित करती है। बीएलटी प्रवक्ता मीरान बलूच का कहना है की पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान के डेरा बुगती के राइस तोख और गुर्दों नवाह के इलाकों मे सैन्य अभियान शुरू किया था। इसलिए इन इलाकों मे वो आम जनता को हो रही हिंसा से बचाने के लिए जाते है।
आजाद सिंध की मांग
और कराची मे एक हमले का जिम्मा सिंधुदेश रेवलूशनेरी आर्मी(SRA) ने लेते हुए कहा है की वो सिंध के लिए आजादी चाहते है। इसने सिंध में अफगान और पश्तून समुदायों के पुनर्वास के साथ लगाए जा रहे जनसांख्यिकीय परिवर्तन के खिलाफ भी अपना विरोध जताया है। SRA ने चीनी नागरिकों के साथ-साथ पाकिस्तानी कोस्ट गार्ड कर्मियों को भी निशाना बनाया है।
इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस(ISPR)- पाकिस्तानी सेना की जनसंपर्क एजेंसी ने हमलों के बाद कई बयान जारी किए। इसमें कहा गया है कि ज़ोब कैंट में सुरक्षा अभियान पूरा हो गया है और कुल मिलाकर पांच आतंकवादी मारे गए हैं।

वो कहते है ना की जैसा बो-ओगे वैसा पाओगे। पाकिस्तान में पल रहे आतंकवादि अब उनको ही अपना निशाना बना रहे है। 2021 मे अफ़्ग़ानिस्तान में जब से तालिबानी हुकूमत आई है तब से ये हमले शुरू हुए है जिसमें 100 से भी ज्यादा सैनिकों ने अपनी जान गवाई है।
और अफगानिस्तान जैसी ही इस्लामी इकाई स्थापित करने के लिए बड़ी संख्या में तालिबान लड़ाके पाकिस्तान पहुंचे रहे है।
पाकिस्तान पूरे देश में गंभीर संघर्षों का खामियाजा भुगत रहा है क्योंकि यह क्षेत्र हथियारों और भारी प्रशिक्षित आतंकवादी समूहों और युद्ध-कठोर लड़ाकों से भरा हुआ है। पाकिस्तानी सरकार द्वारा पश्तूनों, बलूचों और सिंधियों जैसे कई जातीय समुदायों को अलग-थलग करने से भी लोगों में नाराजगी पैदा हो गई है। इनमें से कई लोगों ने पाकिस्तानी सेनाओं – सेना, अर्धसैनिक बल और खुफिया एजेंसियों के खिलाफ हथियार उठा लिए हैं।
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