One Nation One Election : हज़ारों युवाओं की भीड़ हुई इकट्ठा…

One Nation One Election : बुधवार (26 मार्च, 2025) को जंतर-मंतर पर “एक देश, एक चुनाव” जागरूकता अभियान का आयोजन “संविधान सपोर्ट ग्रुप” के द्वारा किया गया। इस समूह में युवा कार्यकर्ता, अधिवक्ता, शिक्षक और स्वयंसेवक शामिल हैं। इस अभियान में 1,000 से अधिक युवाओं ने भाग लिया है।

इस अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों को “एक देश, एक चुनाव” (One Nation One Election) के प्रति जागरूक करना और इसे लागू करने के लिए समर्थन जुटाना है। कार्यक्रम में अपनी सहभागिता देने के लिए देश के कोने-कोने से युवाओं ने भाग लिया है।

कार्यक्रम से शामिल एक युवती ने कहा, “एक देश, एक चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे हमारे लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी। चुनाव अक्सर व्यवधान पैदा करते हैं, जिसे हम “एक देश, एक चुनाव” से बेहतर कर सकते हैं।

इस कर्यक्रम में अभिनेता वरुण शर्मा भी शामिल हुए। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह एक बेहतरीन पहल है…मैं पिछले 2-3 महीने से इसके बारे में पढ़ रहा हूँ। हमें इसके बारे में और अधिक जानकारी हासिल करनी चाहिए, जितना ज्यादा हम इसके बारे में बात करेंगे, उतना ही यह आगे बढ़ेगा।”

“One Nation One Election” क्या है?

“एक देश, एक चुनाव” का मतलब है कि भारत में सभी चुनाव चुनाव एक साथ होने चाहिए। इसका उद्देश्य—लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और संभवतः स्थानीय निकायों के चुनाव एक ही समय पर या एक निश्चित समयावधि में कराए जाएं। इसका मुख्य उद्देश्य उद्देश्य चुनावों में होने वाले खर्च को कम करना और जनता की भागीदारी को बढ़ावा देना है।

“एक देश, एक चुनाव” से होने वाले लाभ :

  1. कम लागत: यदि देश में एक साथ सभी चुनाव होंगे तो प्रचार और प्रशासन पर काम खर्च होगा।
  2. बेहतर शासन: ‘मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट’ के बार-बार लागू होने से विकास कार्य बाधित नहीं होंगे।
  3. मतदाता भागीदारी: एक बार में सभी स्तरों पर वोट डालने से मतदाताओं को सुविधा होगी।

हालांकि “एक देश, एक चुनाव” की चुनौतियां भी हैं, इसके लागू होने से राष्ट्रीय मुद्दे, राज्य या स्थानीय मुद्दों को दबा सकते हैं, जिससे नेशनल पार्टियों को फायदा होगा।

1952-67 तक एक साथ हुए चुनाव

“संविधान सपोर्ट ग्रुप” का मानना है कि वर्तमान में बार-बार और अलग-अलग समय पर होने वाले चुनाव अप्रभावी और महंगे हैं, जो शासन को बाधित करते हैं। देश में बार-बार चुनाव होने से “मोडल कोड ऑफ़ कंडक्ट” लगाया जाता है, जिससे विकास के कार्यों में बाधा आती है। ग्रुप का कहना है कि 1952 से 1967 तक भारत में एक साथ चुनाव सफलतापूर्वक कराए गए थे, और इसे फिर से लागू करना संभव है।

“संविधान सपोर्ट ग्रुप” ने देशभर में सर्वे किए हैं और लगभग 300 सांसदों से बात की है, जो “One Nation One Election” प्रस्ताव का समर्थन करते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लोकसभा ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से जुड़ी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के कार्यकाल को मानसून सत्र 2025 के अंतिम सप्ताह के पहले दिन तक बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

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WATCH : https://youtu.be/gvlXm5WZ5IE?si=5aA5oQA5hBpxk0dd

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