एक लोटा जल सभी समस्याओं का हल ये लाईन तो अब तक आपने कई बार सुन ही ली होगी। साथ ही ये लाईन बोलने वाले पंडित प्रदीप मिश्रा को भी आप जानते ही होंगे। पर आज हम इस वीडियो में आपको मिश्रा जी के उपाय नहीं बताने वाले हैं बल्की खुद पंडित प्रदीप मिश्रा के बारे में ऐसी बाते बताएंगे जो हर कोई जानना चाहता है। पंडित प्रदीप मिश्रा का जीवन काफी रहस्यों से भरा है। बतादें कि शिवपुराण कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा का बचपन ऐसे हालातों में बीता कि आज भी उसे याद कर मिश्रा जी की आँखे भर आती हैं।
कितना कष्ठ भरा था प्रदीप मिश्रा का बचपन
मिश्रा जी का जन्म 1980 में सीहोर में हुआ था। वह आठ भाई बहन थे जिनको पालने के लिए पिता रामेश्वर दयाल मिश्रा चने और चाय का ठेला लगाते थे। ठेला लगाने के लिए कोई निश्चित ज़मीन ना होने के कारण अक्सर पिता की पुलिस द्वारा पर्ची काट दी जाती थी जिसके कारण 100, 200 रूपए तो पुलिस ही ले लेती थी। टीन के मकान में रहते हुए उन्होंने अपना बचपन बिताया है। बतादें कि मिश्रा जी ने अपनी ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई पूरी की जिसके बाद उन्होंने शिक्षक की नौकरी में अपना हाथ आज़माया।
बचपन से ही प्रदीप मिश्रा को भजन किर्तन करना पसंद था
मिश्रा जी को बचपन से ही भजन किर्तन में रूचि थी जिसको देखते हुए उनके ही शहर की गीता बाई नामक एक महिला ने उन्हें सबसे पहले कथावाचक बनने के लिए प्रेरित किया था। जिसके बाद महिला के कहने पर मिश्रा जी ने इंदौर में रहने वाले श्री विठलेश काकाजी से दीक्षा ली और पुराणों का ज्ञान प्राप्त किया। सीहोर वाले पंडित जी खुद बताते हैं कि जब उन्होंने पहली बार कथा वाची तो उनके पास केवल दो धोती थी। एक जो कथा करवाने वाले ने दी थी और दूसरी जो गुरू दीक्षा के समय उनके गुरू ने उन्हें प्रदान की थी। उस समय उन्हें कथा सुनाने के केवल 51 रूपए प्रप्त हुए थे। वर्तमान में प्रदीप मिश्रा सबसे बड़े शिवपुराण कथावाचक है शंकर भगवान के भक्त इनकी कथा सुनने के बाद अपनी बड़ी से बड़ी समस्या भूल जाते हैं।