दिसम्बर का महीना है और क्रिसमस का त्योहार भी करीब है। ऐसे में हम अकसर देखते आए हैं कि इस ईसाई पर्व के समय प्राईवेट स्कूलों द्वारा बच्चों को सांता क्लॉज जैसी वेशभूषा पहना दी जाती है। ये कभी बच्चों की सहमति से होता था तो कभी जबरदस्ती और जिसमें उनके माता- पिता की सहमति की बात तो आती ही नहीं थी पर अब ऐसा नहीं होगा। जी हाँ अब मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में कोई प्राईवेट सांस्था ऐसा नहीं कर सकेगी। यानि की अब स्कूल्स अपनी इच्छा से बच्चों को सांता क्लॉज नहीं बना पाएंगे।
शाजापुर जिले में फरमान जारी
मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में शिक्षा विभाग द्वारा क्रिसमस के इस ईसाई त्योहार से पहले एक फरमान जारी किया है। इस फरमान के मुताबिक अब कोई भी निजी संस्था अभिभावकों की लिखित अनुमति के बिना छात्रों को सांता क्लॉज की वेशभूषा नहीं पहना सकती।
ये भी पढ़ें- जिस पत्थर की कर रहे थे सदियों से पूजा वो निकला डायनासोर का अण्डा
छात्रों को सांता क्लॉज बनाने पर होगी कारवाई
जिला शिक्षा विभाग अधिकारी विवेक दुबे के नाम से जारी किए गए पत्र में लिखा है कि यदि कोई भी अशासकीय स्कूल बिना माता- पिता की लिखित अनुमति के बच्चों को सांता क्लॉज की वेशभूषा पहनाकर उन्हें पर्व स् जुड़े कार्यक्रम में हिस्सा दिलाता है तो उस स्कूल पर अनुशासनात्मक कार्यवाई की जाएगी।बतादें कि यह पत्र जिले के सभी अशासकीय स्कूलों के लिए जारी किया गया है इसपर जिला शिक्षा विभाग का कहना है कि स्कूलों में जबरदस्ती छात्रों को विशेष त्योहार की वेशभूषा पहनाई जाती थी जिसके कारण एक अप्रिय सी स्थिति पैदा हो जाती थी इसलिए ही विभाग द्वारा यह पत्र जारी किया गया है।
सामने आए थे कई धर्मपरिवर्तन के मामले
दरअसल आप को बतादें कि मध्य प्रदेश में ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्म परिवर्तन करने के भी कई मामले सामने आए थे जिनमें कहीं बच्चों को बाइबल पढ़ाई जा रही थी तो कभी ईसाई तौर तरीके सिखाए जा रहे थे। वहीं ऐसे भी कई मामले सामने आए थे जब ईसाई धर्म के लोगो द्वारा गरीब परिवारों को धन का लालच लेकर उनका धर्म परिवर्तन कराया गया था। इन सभी मामलों को देखते हुए अब बच्चों के अभिभावकों को भी चिंता रहने लगी है जिसपर अब ये फैसला उनको राहत दिलाने वाला साबित हो सकता है।
ये भी पढ़ें- आदिपुरूष के बाद अब हनुमान फिल्म पर हो सकता है विवाद