Delhi Blast Case: दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास 10 नवंबर को हुए बम धमाके की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जांच में यह पता चला कि फरीदाबाद के अल-फलाह यूनिवर्सिटी में एक संगठित आतंकी मॉड्यूल सक्रिय था, जिसका संबंध पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से था। इस मॉड्यूल ने बम बनाने की तकनीक सीखने के लिए डॉक्टर मुजम्मिल और उमर को 40 से ज्यादा वीडियो भेजे थे, जिनमें विस्फोटक बनाने के तरीके विस्तार से बताए गए थे।
खुदाई में यह भी सामने आया कि यूनिवर्सिटी की लैब से कई रसायन और कांच के सामान चोरी किए गए थे। इनकी खपत और रिकॉर्ड में गड़बड़ी पाई गई। संदेह है कि इन सामग्रियों का इस्तेमाल बम बनाने के लिए किया गया था और इन्हें शैक्षिक गतिविधियों के नाम पर बाहर ले जाया गया था।
सूत्रों के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद के हैंडलर द्वारा भेजे गए बम बनाने के वीडियो को देखकर डॉ. मुज्जमिल, उमर और उनके साथियों ने यूरिया से अमोनियम नाइट्रेट निकालने की प्रक्रिया शुरू की। इसके लिए उन्होंने नूंह में एक आटा चक्की का इस्तेमाल किया, जहां यूरिया को पीसकर इलेक्ट्रिकल मशीन से अमोनियम नाइट्रेट तैयार किया गया।
सुरक्षा एजेंसियां अब इस मॉड्यूल के ठिकाने और इसके जुड़े हुए डॉक्टरों की जांच कर रही हैं। पुलिस ने यह भी खुलासा किया कि इस मॉड्यूल ने अस्पतालों और डॉक्टरों का उपयोग हथियारों के स्टोर और आतंकी गतिविधियों के लिए किया था। एजेंसियों ने कई सरकारी अस्पतालों में भी तलाशी ली, खासकर जम्मू और कश्मीर के क्षेत्र में, जहां से यह मॉड्यूल जुड़ा हुआ था।
दिल्ली धमाके में अब तक 6 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, और जांच एजेंसियां इस पूरे नेटवर्क को तोड़ने में जुटी हैं।