हिंद महासागर में करोड़ों साल पहले से मौजूद था पाताल का रास्ता
ये है रहस्यमयी ग्रेविटी होल मतलब वैसी जगह जहाँ बाकी हिस्सों के मुकाबले ग्रेविटी कमजोर हो जाती है।इसे इंडियन ओशियन जियोइड लो (IOGL) के नाम से जाना जाता है। ये लगभग 30 लाख वर्ग किमी में फैला हुआ है।इसके बारे में अब तक वैज्ञानिक एक मत पर नहीं थे की ये आखिरकार कैसे बना। पर भारत के वैज्ञानिकों ने इस अनोखी ग्रेविटी होल का कारण खोज निकाला है। Indian Institute of Science (IISc) के रिसर्चर देबांजन पाल और आत्रेयी घोष इस स्टडी के प्रमुख लेखक है। क्या है ग्रेविटी होल की वजह दरसल ये प्राचीन टेथिस महासागर के अवशेष हैं जो पृथ्वी की क्रस्ट के नीचे 950 वर्ग किमी तक फैला है। टेथिस महासागर एक प्राचीन महासागर था जो मेसोजोइक युग के दौरान गोंडवाना और लॉरेशिया महाद्वीपों के बीच मौजूद था। शोधकर्ताओं का मानना है की इसका जवाब पृथ्वी के क्रस्ट के एक हजार किमी नीचे छिपा है। यहां प्राचीन महासागर के ठंडे घने अवशेष अफ्रीका के नीचे तीन करोड़ साल पहले दब गए थे और फिर गर्म पिघली चट्टानें ऊपर आती गयी। इसी वजह से ये ग्रेविटी होल बना है।ये करोड़ सालों से है और आगे कई करोड़ साल तक रहने वाला है।
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