देश का टाइगर स्टेट कहलाने वाला मध्यप्रदेश इन दिनों बाघों की लगातार हो रही मौतों से दहला हुआ है। साल 2025 में अब तक कुल 54 बाघों की मौत हो चुकी है, जो प्रोजेक्ट टाइगर शुरू होने के बाद एक साल में अब तक सबसे ज्यादा है। चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले एक हफ्ते में ही 6 बाघ दम तोड़ी चुके है।
इन 54 मौतों में से 36 मौतें रहस्यमय बताई जा रही हैं। कई मामलों में शिकारियों द्वारा पंजे काटकर ले जाने की आशंका भी है, जबकि कुछ में शिकारी कैमरे में कैद हुए हैं। अन्य कारणों में ट्रेन से टकराना, करंट लगना और बाघों के बीच आपसी संघर्ष शामिल है।
आंकड़ों की बात करे तो बाघों की मौत का ग्राफ पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ रहा है। साल 2021 में 34, 2022 में 43, 2023 में 45 और 2024 में 46 बाघों की मौत हुई थी। बीते छह सालों में कुल 262 बाघ मारे गए हैं, जिनमें से लगभग 120 मौतों में अवैध शिकार की आशंका है।
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वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि शिकार पर सख्ती, सुरक्षित कॉरिडोर और जंगलों को शहरों के विस्तार से बचाना जरूरी है। बढ़ता मानव-वन्यजीव संघर्ष भी बड़ा कारण बन रहा है।
मामले ने सियासी तूल भी पकड़ लिया है। विपक्ष ने सरकार और वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया है। वहीं सरकार का कहना है कि स्थिति गंभीर है और सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
वन बल प्रमुख वीएन अंबाडे ने लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि बाघों की सुरक्षा में किसी भी तरह की लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वन विभाग ने जांच तेज कर दी है और डॉग स्क्वॉड व पेट्रोलिंग टीमें तैनात की गई हैं।
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