मध्यप्रदेश की मोहन सरकार की कैबिनेट ने कई बड़े और जनता के लिए अहम फैसले लिए हैं। सबसे बड़ा फैसला राज्य में स्थायी और अस्थायी कर्मचारियों के बीच अंतर खत्म करने का है। अब 10 श्रेणियों की बजाय केवल 5 श्रेणियां रहेंगी: नियमित, संविदा, आउटसोर्स और अंशकालिक। अस्थायी पदों को स्थायी में बदला जाएगा और सेवा भर्ती नियमों में जरूरी बदलाव किए जाएंगे।
कैबिनेट ने भोपाल-इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए बजट आवंटन को मंजूरी दी है। इससे दोनों शहरों की कनेक्टिविटी मजबूत होगी। मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना को 2026-27 तक जारी रखने की भी मंजूरी दी गई है, जिसके लिए 905 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
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वन क्षेत्र में भी बड़े कदम उठाए गए हैं। कैबिनेट ने छह नए वन विज्ञान केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिन पर कुल 48 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके अलावा राघवपुर परियोजना के लिए 1782 करोड़ और मुख्यमंत्री सड़क परियोजना के तहत 3810 कार्यों को भी स्वीकृति मिली है।
सरकार के दो साल पूरे होने पर सभी मंत्री अपने-अपने विभागों का रिपोर्ट कार्ड जारी करेंगे। वे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कामकाज का ब्यौरा साझा करेंगे और दो साल की उपलब्धियों की लिखित जानकारी जनता को देंगे।
ये फैसले प्रदेश के विकास, रोजगार, पर्यावरण और कर्मचारियों के हित में अहम माने जा रहे हैं। डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि यह निर्णय जनता की भलाई और प्रदेश की प्रगति के लिए लिए गए हैं।
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