महापर्व छठ की शुरुआत हो चुकी है। छठ पर्व के दूसरे दिन यानी आज खरना होता है। खरना के दिन व्रती महिलाएं केवल एक ही समय शाम में मीठा भोजन करती है। इस दिन मुख्य रूप से चावल और गुड़ की खीर का प्रसाद बनाया जाता है।मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी जलाकर इसे बनाया जाता है। छठ का व्रत चार दिन तक किया जाता है। चारो दिन अलग अलग विधिया की जाती है।
बता दें , छठ पर्व विशेषकर बिहार में मनाया जाता है। इसके अलावा यूपी और झारखंड में भी छठ पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता सीता ने भी छठ का व्रत रखा था। ऐसा माना जाता है कि मां सीता ने अपनी पहली छठ पूजा बिहार के मुंगेंर में गंगा नदी के तट पर की थी। जब माता सीता भगवान राम के साथ वनवास गई थीं। तब उन्होंने छठ का व्रत रखा था। इसके बाद से ही छठ पर्व की शुरुआत हुई।
आज भी मौजूद हैं चरण चिन्ह
मान्यताओं के अनुसार, माता सीता ने कार्तिक मास की षष्ठी तिथि पर भगवान सूर्य देव की उपासना मुंगेर के बबुआ गंगा घाट के पश्चमी तट पर ही की थी। जहां उनके चरण चिन्ह आज भी मौजूद हैं। वहां मौजूद शिलपट पर आज भी मां सीता के व्रत रखने के अस्तित्व मिलते हैं। यहां सूप, डाला और लोटे के निशान भी बने हैं। यहां अब एक विशाल मंदिर बनाया गया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर का गर्भगृह साल के छह महीने तक गंगा के गर्भ में समाया रहता है।
इस कारण से माँ सीता ने किया था छठ का व्रत
वाल्मीकि और रामायण के अनुसार , ऐतिहासिक नगरी मुंगेर के सीता चरण में कभी माता ने छह दिन तक रहकर छठ पूजा की थी। वहीं जब भगवान राम 14 वर्ष वनवास के बाद अयोध्या लोटे थे तो रावण वध से पाप मुक्त होने के लिए ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूय यज्ञ करने का फैसला लिया गया।जिसके लिए मुद्गल ऋषि को आमंत्रण दिया गया था, लेकिन मुद्गल ऋषि ने भगवान राम एवं सीता को अपने ही आश्रम में आने का आदेश दिया। मुद्गल ऋषि ने तब माता सीता को सूर्य की उपासना करने की सलाह दी थी। जिसके बाद माँ सीता ने छठ पूजा की थी।