मध्य प्रदेश की राजधानि भोपाल से एक बड़ा मामला सामने आया। राजधानी की एक संस्था में मासूम और बेसहारा बच्चों का धर्मांतरण एक लम्बे समय से चल रहा था और धर्मांतरण कराने वाले भी समाज के ऐसे लोग हैं जिन्हें बकायदा इन बच्चों की जिम्मेदारी दी जाती है। अब इस मामले में बड़ी कारवाई की गई है जिसके तहत गंजबासौदा सीडीपीओ बृजेन्द्र प्रताप सिंह जिनकी पदस्थापना हुई थी, सीडीपीओ कोमल उपाध्याय, महीला एवं बाल विकास अधिकारी सुनील सोलंकी सहित सहायक संचालक महिला महिला एवं बाल विकास रामगोपाल यादव को नीलंबित किया गया।
भोपाल धर्मांतरण का पूरा मामला
राजधानी भोपाल में स्थित आंचल चाईड होम्स में अचानक राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने छापा मारा। और इसके बाद जो पता चला इसे सुनकर हर कोई हैरान हो गया । क्योंकि इस संस्था में अधिकारियों को ऐसे लोगों से जुड़े दस्तावेज मिले जो कल तक चाईल्ड लाईन फॉउनडेशन के लिए काम किया करते थे।
ऐसे करते थे बच्चों का धर्मांतरण
इंडियन चाईल्ड लाईन फाउंडेशन के तहत अलग अलग जगहों के एनजीओ की मदद से जरूरतमंद बच्चों की मदद की जाती है। इसी के तहत भोपाल में जिस एनजीओ को चाईल्ड लाईन संचालित करने की जिम्मेदारी दी गई वहाँ के कर्मचारी ऐसे बच्चों को ढूढते तो डरूर थे पर इनको सीडब्लूसी के सामने पेश करने के बजाय ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित इस एनजीओ में डाल देते थे। ये समाज के तथा कथित जिम्मेदार लोग आम जनता के सामने तो समाज सेवी और बच्चों के हितोषी दिखते हैं पर ये अपने ही संस्था में इन बेसहारा बच्चों को रखते और जिसके बाद में शुरू होता है इनके धर्मांतरण करने का सिलसिला।
26 बच्चियाँ हुई लापता
कोई गिनती नहीं हैं कि आज तक इस संस्था के द्वार कितने बच्चों का धर्मांतरण हुआ है और शायद कितने ही बच्चों की तस्करी हुई हो। तस्करी हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पहली बात तो ये कि यह संस्था ही अबैध रूप से संचालित हो ती है दूसरा कि यहां कितना बच्चे कहा से आए कोई रिकॉड नहीं। बतादें कि संस्था में कुल 68 बच्चियां मिलनी चाहिए थी पर जब अधिकारी पहुँचे तो केवल 41 बच्चियाँ ही संस्था में मिली और बाकी बच्चियाँ कहा है कोई खबर नहीं।
यह भी पढ़ें- क्या है न्यूजीलैंड की इस वायरल वीडियो के पीछे की कहानी