Lucknow : मंगलवार (8 अप्रैल 2025) को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ एक बड़े आंदोलन का गवाह बनी। क्षत्रिय समाज के हजारों कार्यकर्ताओं ने समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद रामजी लाल सुमन द्वारा महान योद्धा राणा सांगा के खिलाफ की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी के विरोध में सड़कों पर उतर आए।
इस प्रदर्शन को ‘महासंग्राम यात्रा’ का नाम दिया गया, जिसे लेकर प्रशासन और प्रदर्शनकारियों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया। इस घटना ने न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, बल्कि क्षत्रिय समुदाय के गौरव और सम्मान को भी केंद्र में ला दिया है।
Lucknow पुलिस ने लिया एक्शन
महासंग्राम यात्रा शुरू होने से पहले ही लखनऊ पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए हजारों क्षत्रिय कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। यह यात्रा राणा सांगा के सम्मान में निकाली जानी थी, लेकिन प्रशासन ने इसे अनुमति नहीं दी। इसके बावजूद प्रदर्शन का ऐलान कर दिया।

पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की, लेकिन कार्यकर्ता उसपर चढ़ते हुए निकल गए। कई जगहों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प की खबरें भी सामने आईं। इस दौरान करीब 36 क्षत्रिय संगठनों ने एकजुट होकर इस आंदोलन को समर्थन दिया।
सपा सांसद के बयान पर विवाद
यह पूरा विवाद सपा सांसद रामजी लाल सुमन के उस बयान से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने राणा सांगा के बारे में कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। क्षत्रिय समाज ने इसे अपने गौरव पर हमला माना और सांसद से माफी की मांग की।
संगठनों का कहना है कि राणा सांगा, जो मेवाड़ के शौर्य और बलिदान के प्रतीक हैं, उनके खिलाफ ऐसी टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जा सकती। प्रदर्शनकारियों ने सपा सांसद के खिलाफ नारेबाजी की और उनके इस्तीफे की मांग भी उठाई। इस विरोध मार्च में बड़ी संख्या में युवा और महिलाएं भी शामिल हुईं।

लाठीचार्ज से प्रदर्शन हुआ उग्र
प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का भी इस्तेमाल किया, लेकिन इसने प्रदर्शन को एक उग्र रूप दे दिया। कई प्रदर्शनकारी घायल हुए, पर उनका कहना था कि वे अपने पूर्वजों के सम्मान के लिए किसी भी हद तक जाएंगे। संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि सपा सांसद ने माफी नहीं मांगी, तो यह आंदोलन और तेज होगा।

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