अयोध्या के श्री राम मंदिर बनने को लेकर देश भर के कई साधु संतों ने अलग अलग प्रतिज्ञाएं ले रखी थी। किसी ने मंदिर बनने तक शादी ना करने की ठानी थी तो किसी ने जूते चप्पल छोड़ खड़ाऊँ पहने की प्रतिज्ञा ली। कुछ इसी तरह की प्रतिज्ञा करपात्री जी महाराज ने भी ली थी।
राम मंदिर के लिए महाराज ने ली थी यह प्रतिज्ञा
महाराज ने राम मंदिर बनने तक दिन में एक बार भोजन करने और उसमें भी केवल 18 कौर खाने की ठान ली थी। संत ने सिले कपड़े ना पहनने और पैरों में खड़ाऊँ पहनने की भी प्रतिज्ञा ली थी। इसके अलावा वह केवल हाथ में ही खाते हैं और हाथ में ही पानी पीते हैं।
22 जनवरी की तिथि से जुड़ा रहस्य
करपात्री महाराज ने बताया कि हमारे सनातन धर्म में 4 वेद और 18 पुराण हैं इन दोनों को मिलाकर 22 संख्या बनती है। साथ ही वेदों और पुराणों के मिलने पर ही श्रीराम का जन्म होता है इसलिए 22 जनवरी की तिथि श्रेष्ठ है।
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वह आगे बताते हैं कि जनवरी का महीना ही क्यों चुना गया। वह इसे जनबरी शब्द से जोड़कर बताते हैं कि जन का अर्थ है मनुष्य और बरी का अर्थ है अलग। पर इस जनवरी में जनबरी नहीं होंगे यानी लोग अलग नहीं होंगे एक दूसरे से दूर नहीं होंगे क्योंकि इस जनवरी में श्रीराम लला आ रहे हैं।