तुर्की के इस्तांबुल में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच चली शांति वार्ता विफल हो गई। दोनों देशों के बीच सीमा तनाव और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के मुद्दे पर सहमति नहीं बन सकी। वार्ता के दौरान अचानक आए एक “अज्ञात कॉल” ने माहौल बिगाड़ दिया और पाकिस्तान के रुख में बदलाव आ गया। सूत्रों के अनुसार इस कॉल के बाद पाकिस्तान ने स्वीकार किया कि उसका किसी विदेशी देश के साथ ड्रोन उड़ाने का समझौता है, जिसे रद्द नहीं किया जा सकता।
काबुल ने इसे गंभीरता से लिया और बैठक से दूरी बना ली। तुर्की व कतर मध्यस्थता कर रहे थे, मगर पाकिस्तान के रवैये ने सबको चौंका दिया। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कड़े तेवर दिखाते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान पर हमला हुआ तो जवाब पचास फीसदी ज्यादा ताकत से दिया जाएगा और तालिबान को पूरी तरह नष्ट करने तक पीछे नहीं हटेंगे।
अफगान अधिकारियों ने भी कड़ा रुख अपनाया और कहा कि TTP पर कार्रवाई अफगानिस्तान का अंदरूनी मामला है और उनकी जमीन पर किसी की छेड़छाड़ स्वीकार्य नहीं।
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