मालदीव में राष्ट्रपति के चुनाव होने वाले है और इसलिए यहाँ “India Out” अभियान चल रहा है। इस साल ईद के दिन से इसकी शुरुआत हुई थी।
मालदीव: ये ‘India Out’ अभियान नया नहीं है, आधिकारिक रूप से 2020 से ही ये चालू है।
क्या है “India Out” अभियान?
2005 में लोकतांत्रिक संवैधानिक सुधारों के उद्भव और 2008 में मौमून अब्दुल गयूम की चुनावी हार ने चर्चा और असहमति के लिए जगह खोल दी थी। तब से ही मालदीव में भारत विरोधी भावनाओं को कभी-कभार बढ़ावा देने और सहायता के राजनीतिकरण का उदय हुआ।
2013 में चीन का आदमी कहे जाने वाले अब्दुल्ला यामीन के चुनाव के बाद, मालदीव ने चीन के साथ अपनी बातचीत बढ़ा दी और 2014 में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना के समर्थन के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग की यात्रा का स्वागत किया। जैसे-जैसे घरेलू असहमति और विरोध पर यामीन पर कार्रवाई हुई, भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय आलोचना बढ़ती गई, मालदीव के राष्ट्रपति चीन के और करीब आ गए।

यामीन पर कई भ्रष्टाचार के आरोप लगे जिसके वजह से वो 11 साल की सजा भी काट रहा है और 2018 मे राष्ट्रपति पद से हाथ भी धोना पड़ा। 2018 में यामीन की चुनावी हार के बाद ही इस अभियान का ये स्वरूप सामने आया।
कैसा रहा है भारत-मालदीव का रिश्ता?
भारत और मालदीव के बीच पिछले छह दशकों से राजनयिक, रक्षा, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध साझा हैं। हिंद महासागर में एक महत्वपूर्ण भौगोलिक स्थिति में स्थित, मालदीव हिंद महासागर और उसके पड़ोस के लिए भारत की रणनीति के लिए महत्वपूर्ण है। अपनी ओर से, मालदीव को भारत की आर्थिक सहायता और शुद्ध सुरक्षा प्रावधान से लाभ मिलता है।
हालाँकि, 2013 में यामीन के सत्ता में आने के साथ, लोकतंत्र पर उनके सख्त रुख, चीन के प्रति निकटता और राष्ट्रवादी भावनाओं को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली भारत विरोधी बयानबाजी के कारण भारत-मालदीव संबंधों में गिरावट आई।
2018 में एक नए राष्ट्रपति, इब्राहिम सोलिह को चुना गया, जिन्होंने तुरंत 'India First' नीति शुरू करके रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए काम किया। नीति में आर्थिक और रक्षा साझेदारी के लिए भारत को प्राथमिकता दी गई, और मालदीव में चीनी निवेश और गतिविधियों से उत्पन्न भारतीय चिंताओं के प्रति अधिक संवेदनशीलता दिखाई गई।

पर अब फिर से चुनाव आ रहे है और यमीन को लगता है की भारत को मुद्दा बनाकर वो लोगों की समस्या हल कर पाएगा पर वो लोग मालदीव के है की चीन के वो तो वक्त ही बताएगा।
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