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उत्तराखंड में यूसीसी (UCC) लागू हुआ तो प्रदेश में होगें ये बड़े बदलाव

उत्तराखंड , यूसीसी (UCC)

देश में इस समय सभी की नजरें उत्तराखंड पर टीकी हुई हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आज प्रदेश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा में यूसीसी (UCC) बिल पेश कर दिया है। जी हाँ उत्तराखंड की विधानसभा सदन में यूनिफार्म सिविल कोड या कहें कॉमन ,सिविल कोड बिल पेश कर दिया गया है। 

उत्तराखंड में यूसीसी (UCC) हुआ पेश

बिल जैसे ही सदन में पास किया जाता है तो विधेयक बन जाएगा और राज्यपाल के द्वारा पास होने को बाद कानून बन जाएगा। जिसके बाद उत्तराखंड आजादी के बाद इस कानून को बनाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। बतादें कि साल 2022 में जब सरकार बनी थी तभी मंत्री मंडल की पहली बैठक में ही यूसीसी को लेकर विशेषज्ञों की समिति का गठन करने को मंजूरी दे दी गई थी। जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की सेवा निवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई कर रही हैं। और आज इस बिल को मुख्यमंत्री द्वारा पेश कर दिया है।

विपक्षी दलों ने मचाया हंगामा

विपक्षी दलों ने इस बिल क लेकर सदन में हंगामा मचा दिया है। विपक्षी दलों ने फिलहाल चर्चा की मांग की है जिसके साथ ही सदन में इतना हंगामा खड़ा किया गया कि सदन को स्थगित करना पड़ा और अब 2बजे के बाद से सदन में कारवाई शुरू की जाएगी।बताया जा रहा है कि इस में 400 से अधिक धाराएं शामिल हैं। आपको बतादें कि इस बिल का मुख्य लक्ष्य पारंपरिक रीति रिवाजों से होने वाली विसंगतियों को खत्म करना है।

उत्तराखंड में यूसीसी (UCC) कानून का प्रभाव

यूनीफर्म सिविल कोड कानून में मुख्य तौर पर विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, उत्ताधिकारी और दस्तकग्रहण यानी गोदलेना से जुड़ी बातें है। साथ ही हम आपको बताते चलते हैं कि इस कानून का किसी भी प्रकार से हिंदू- मुस्लिम से ताल्लुक़ नहीं हैं, ये मोजोरिटी या माइनरिटी का बातें भी नहीं करता है। ये एक प्रोग्रेसिव कानून है क्योंकि इसका सीधा उद्देश्य महिलाओं और बच्चों को अधिकारों को दिलाना है ना कि किसी भी प्रकार से अधिकारों को छीनना। हम आपको ये भी स्पष्ट कर देते हैं कि इस कानून के लागू होने पर किसी भी धर्म के शादी व्याह के रीति रिवाजों पर कोई असर नहीं होगा और ना ही किसी भी जन जाती की रीति रिवोजों और मान्यताओं पर प्रभाव पड़ेगा।

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