झारखंड की राजनीति इन दिनों गर्माई हुई है। हेमंत सोरेन को ज़मीन घोटाले के मामले में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। जिसके बाद उन्होंने राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया है। इसी बीच जेएमएम के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार ने चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुना और वह 43 विधायकों का समर्थन लेकर सीएम पद की दावेदारी कर रहे हैं। अगर आज शाम तक वह शपथ नहीं लेंगे तो झारखंड की राजनीति में बड़ा भूचाल आ जाएगा।
चंपई सोरेन सीएम नहीं बने तो क्या होगा
चंपई सोरेन ने कल विधायकों का समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंप दिया था। इस पत्र में 43 विधायकों के हस्ताक्षर थे जबकि गठबंधन के कुल 48 विधायक हैं। बतादें माना जा रहा है कि अगर आज शाम तक चंपई को सरकार बनाने का न्योता नहीं मिलता है तो गठबंघन के विधायकों को किसी दूसरे राज्य में भेज दिया जाएगा। माना जा रहा है कि उन्हें तेलांगना भेजा जाएगा क्योंकि वहाँ कांग्रेस की सरकार है। ऐसा विधायकों में टूट होने के खतरे को कम करने के लिए किया जा रहा है।
पहले भी हुए विधायक शिफ्ट
पहले भी झारखंड की राजनीति में विधायकों को शिफ्ट किया गया है। दरअसल साल 2022 में भी सीएम हेमंत सोरेन पर ऑफिस फॉर प्रोफिट के आरोप लगे थे। उस वक्त भी मामला इतना बड़ गया था कि सीएम की कुर्सी खतरें में आ गई थी। बतादें कि उस वक्त भी जेएमएम के नेतृत्व में गठबंधन ने विधायकों को छत्तीसगढ़ भेज दिया गया था। उस वक्त छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी।
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