जिस रथ पर अर्जुन महाभारत का युध्द लड़ रहे थे उस रथ पर अकेले श्रीकृष्ण ही नहीं थे श्रीकृष्ण के साथ शेषनाग और हनुमान भी थे। जिससे की किसी भी शस्त्र का रथ पर असर ना हो। ये सारी व्यवस्था स्वयं श्रीकृष्ण ने अर्जुन के लिए की थी। क्योंकि अर्जुन धर्म के लिए युध्द कर रहे थे। जब युध्द समाप्त हो गया और अर्जुन महाभारत युध्द जीत गए। जिसके बाद अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा की पहले आप रथ से निचे उतरे फिर मैं उतरता हूं लेकिन श्रीकृष्ण ने मना कर दिया।
बोले नहीं अर्जुन पहले तुम उतरो जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की आज्ञा मानकर अर्जुन रथ से पहले उतर गए। उसके बाद कृष्ण रथ से निचे उतर गए। हनुमान जी भी अंतरध्यान हो गए और शेषनाग भी रथ छोड़ पाताल लोक की ओर प्रस्थान कर गए। भगवान श्रीकृष्ण रथ से उतरने के बाद जल्द ही अर्जुन को रथ से थोड़ी दूर ले गए।
जिसके बाद अर्जुन के रथ से आग की लपट निकलने लगी और रथ पूरी तरह से जल कर राख हो गया। अर्जुन ने ये सब देखने के बाद कृष्ण से पूछा भगवान ये क्या हुआ। तब कृष्ण ने बताया हे अर्जुन ये रथ तो द्रोणाचार्य, भीष्म पितामह और कर्ण के दिव्यास्त्रों से कब का जल गया था। लेकिन इस रथ पर पताखा के रूप में हनुमान और मैं स्वयं था। लेकिन अब तुम्हारा काम खत्म हो गया है तो मैंने ये रथ छोड़ दिया और ये रथ पूरी तरह से जल गया।
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