आज लोकसभा चुनाव का चौथा चरण है जिसमें मध्यप्रदेश की कुल 8 सीटों पर वोटिंग होनी है इन सीटों में रतलाम, खरगोन, देवास, उज्जैन, इंदौर,मंदसौर धार,और खंडवा लोकसभा सीट शामिल है। इन सीटों में से तीन सीटें रतलाम.धार और खरगोन आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित सीट हैं जहां पर चुनावी समीरण हैरान कर देने वाला है। हम जानेंगे इन तीनों सीटों के समीकरण क्या कहते हैं, इन सीटों पर किसका है दबदबा और अब तक इन सीटो पर कितना मतदान हुआ है।
कांग्रेस की पकड़ रही है मजबूत
इन आदिवासी सीटों को साधने के लिए पीएम मोदी और कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी दोनों ने जमकर प्रचार किया है और एक दूसरे पर वार पलटवार भी किए हैं लेकिन क्षेत्र की आदिवासी जनता के दिल में क्या है चलिए जानते हैं। दरअसल रतलाम, धार और खरगोन क्षेत्र में कुल 17 आदिवासी रिजर्व विधानसभा सीट आती हैं जिनमें से कांग्रेस ने 11 पर जीत दर्ज की है और बीजेपी ने महज 5 सीटों पर जीत दर्ज की ,जो आदिवासी क्षेत्रों में कांग्रेस पार्टी की मजबूत पकड़ को साफ दिखाते हैं लेकिन इस बार बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा क्योंकि क्षेत्र में कई ऐसे मुद्दे हैं जिनके कारण बीजेपी कांग्रेस पार्टी को पीछे छोड़ सकती है।
आदिवासी सीटों पर कब किसका रहा दबदबा
अगर पिछले तीन लोकसभा चुनाव की बात करें तो साल 2009 से लेकर साल 2019 तक खरगोन लोकसभा सीट पर भाजपा का ही दबदबा बना हुआ है , और इस बार यहां से बीजेपी की ओर से गजेंद्र सिंह पटेल चुनावी मैदान में है जिनके विपक्ष में कांग्रेस पार्टी के पोरलाल करते चुनाव लड़ रहे हैं,धार लोकसभा सीट पर साल 2019 तक कांग्रेस ने राज किया लेकिन 2014,और 2019 में भाजपा का कमल खिला,क्षेत्र से इस बार सावित्री ठाकुर मैदान में हैं जिनके विपक्ष में कांग्रेस पार्टी के राधेश्याम मुवेल चुनाव लड़ रहे हैं। रतलाम सीट पर साल 2019 तक कांति लाल भरिया ने राज किया पर 14 और 19 के चुनाव में बीजेपी ने ये सीटें भी अपने नाम करली। वहीं इस बार फिर कांग्रेस पार्टी के कांतिलाल भूरिया मैदान में है जिनके सामने बीजेपी की अनीता सिंह चौहान चुनाव लड़ेंगी। बता दें कि पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में आदिवासी इलाकों में कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी को पीछे छोड़ दिया था ।
आदिवासी सीटों पर ऐसे रोचक बना मुकाबला
इस बार मुद्दे अलग हैं जिस पर से पीएम मोदी और राहुल गांधी की रैलियों ने भी सीटों पर काफी प्रभाव डाला है। पीएम मोदी ने 7 मई को धार , और खरगोन में प्रचार किया था वहीं राहुल गांधी ने 6 मई को खरगोन में चुनावी सभा की थी। आदिवासी सीटों में सबसे ज्यादा खास सीट है रतलाम जहाँ से कांग्रेस ने पांच बार के विधायक कांतिलाल भूरिया को उतारा है जो इसी भील समाज से आते जिसकी आबादी रतलाम में ज्यादा है वहीं बीजेपी ने भिलाला समाज से आने वाली अनीता नागर सिंह को प्रत्याशी बनाया है । यहां चुनाव भील और भिलाला में बदल गया है । माना जा रहा है की इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है लेकिन क्षेत्र के जयस पार्टी के नेता इस वक्त कांग्रेस के सपोर्ट में खड़े दिखाई दे रहे है जो इन चुनावों को ज्यादा रोचक बना रहा है।
बीजेपी के लिए आदिवासी सीटों पर पॉजिटिव संकेत
इन क्षेत्रों में बीजेपी के मोदी, से लेकर सीएम मोहन यादव और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान भी विकास के मुद्दे पर प्रचार कर चुके हैं वहीं कांग्रेस स्थानीय मुद्दों को बीच में लेकर आ रही है। इन आदिवासी सीटों पर इस बार हिंदुत्व के मुद्दे छाए हुए हैं ,राम मंदिर की हवा अभी तक शांत नहीं हुई हैं और धार में भोजशाला एक अहम मुद्दा बना हुआ है इसी बीच बार बार पीएम मोदी का चुनावी सभाओं का लेना बीजेपी के लिए पॉजिटिव संकेत देता दिखाई दे रहा है।