जब-जब पृथ्वी पर पाप और अन्याय बढ़ा है तब-तब पापियों का नास करने स्वयं भगवान विष्णु ने धरती पर अवतार लिया है। कुछ एैसा ही कलयुग में होगा जब स्वयं भगवान विष्णु धरती पर भगवान कल्कि का अवतार लेंगे। दोस्तों महाभारत काल के बाद जब श्रीकृष्ण ने अपना देहत्याग किया तो उनके सुदर्शनचक्र ने खुद को पृथ्वी के अंदर समाहित कर लिया था। एैसा कहा जाता है कि जब भगवान कल्कि का धरती पर अवतार होगा तब यही सुदर्शनचक्र भगवान कल्कि धारण करेंगे।
लेकिन ये सोचने वाली बात है कि कलयुग में वह सुदर्शनचक्र से कैसे युध्द करेंगे तो आपको बता दें कि ये सब उनको स्वयं भगवान परशुराम सिखाएंगे। भगवान परशुराम आज भी धरती पर भगवान कल्कि की प्रतिक्षा कर रहे हैं। सुदर्शनचक्र के साथ कर्ण का अमोख कवच और कुंडल भी इस कलयुग के युध्द में भगवान कल्कि की सुरक्षा करेंगे। महाभारत काल के बाद आज भी समुंद्र देव और सुर्यदेव इस कवच और कुंडल की सुरक्षा कर रहे हैं और काली पुरुष के खिलाफ होने वाले इस युध्द में भगवान कल्कि का सबसे बड़ा हथियार ब्रह्म पदार्थ होगा।
वही ब्रह्म पदार्थ जो भगवान जगन्नाथ की मूर्ती में है। धर्म विद्वानों की माने तो ब्रह्म पदार्थ में असीमित शक्तियां और कलयुग काल में इसी ब्रह्म पदार्थ की मदद से भगवान कल्कि युध्द में काली पुरूष को पराजित करेंगे। भागवत पुराण के स्कन्ध 12 के अध्याय 2 में एक कथा के मुताबिक उत्तर प्रदेश के सम्भल गावं में भगवान कल्कि का जन्म होगा और वह अपनी माता-पिता की पाचवीं संतान होंगे। इस कथा में ये भी बताया गया कि भगवान कल्कि की दो पत्नीयां होंगी।
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