आपने फिल्मों में भी कई बार सुना होगा कि किस तरह हीरो अपनी मेहनत और लगन से अपने बिगड़ते हुए काम को भी बनाने में सफल हो जाता है। साथ ही किस तरह वह अपने दुश्मनों को मज़ा चखा देता है। कुछ ऐसी ही कहानी टाटा ग्रुप के मालिक रतन टाटा की भी है।
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दरअसल जब शुरूआती दिनों में टाटा मोटर्स की सेल अच्छी नहीं हुआ करती थी तब टाटा मोटर्स के पैसेंजर कार डिवीजन को बेचने की नौबत आ गई थी उस वक्त इसे बेचने के लिए रतन टाटा ने अमेरिकन कंपनी फोर्ड मोटर्स के मालिक से बात की लेकिन बदले में उन्होंने रतन टाटा का ही मज़ाक उड़ा दिया जिसका बदला रतन ने 9 साल बाद लिया था।
रतन टाटा का फोर्ड मोटर्स के मालिक ने उड़ाया मज़ाक
बात 90 के दशक की है जब टाटा द्वारा इंडिको लॉन्च किया गया लेकिन उसकी खरीददारी उम्मीद के अनुसार नहीं हो पाई जिसके बाद टाटा ग्रुप ने टाटा मोटर्स के पैसेंजर कार डिवीजन को बेचने का फैसला कर लिया था । उसे बेचने के लिए रतन टाटा ने कार बनाने वाली अमेरिकन कंपनी फोर्ड मोटर्स के मालिक बिल फोर्ड से बात की जिस पर बिल ने रतन से कुछ ऐसा कह दिया कि टाटा ने अपना फैसला ही बदल दिया दरअसल बिल फोर्ड ने कहा कि तुम कुछ जानते नहीं हो , तुमने पैसेंजर कार डिवीजन की शुरूआत ही क्यों की , अगर मैं तुम्हारे साथ ये डील करता हूँ तो ये तुम पर बहुत बड़ा एहसान होगा। बस फिर क्या था बिल की यह बात सुनकर रतन ने अपना पैसेंजर कार डिवीजन बेचने का फैसला बदल दिया और
टाटा ने इस तरह लिया था बदला
वह दिन रात उसी को आगे बढ़ाने पर लगे रहे और देखते ही देखते उनकी कार की मांग दुनिया भर में बढ़ने लगी । इस किस्से के 9 साल बाद तो यह स्थिति थी कि दुनिया की टॉप कार्स की लिस्ट में भी उनकी कारों का नाम शामिल था। वहीं फोर्ड मोटर्स को दिन प्रतिदिन असफलता देख नी पड़ रही थी जिसके बाद फोर्ड कंपनी को मदद करने का जिम्मा टाटा ने लिया और उनकी जैगुआर और लैड रोवर कार खरीद ली इस तरह से टाटा ने भी अपना बदला पूरा कर लिया । बतादें कि इस डील को करने के लिए टाटा अमेरिका नहीं गए बल्कि बिल को भारत बुलाया डील होने के बाद बिल फोर्ड ने खुद कह कि आपने मुझ पर बड़ा एहसान किया है।