Financial Year 2025-26 : 1 अप्रैल 2025 से नए वित्तीय वर्ष 2025-26 (Financial Year 2025-26) की शुरुआत के साथ ही देश में कई बड़े बदलाव प्रभावी हो गए हैं। इन बदलावों का असर आम जनता की जेब और रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ना तय है।
बैंकिंग, टैक्स प्रणाली, डिजिटल लेनदेन और अन्य सेवाओं से जुड़े ये नए नियम सरकार की नीतियों का हिस्सा हैं, जो आर्थिक सुधार और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए लाए गए हैं। आइए, इन बदलावों पर विस्तार से नजर डालते हैं।
Financial Year 2025-26 : कर नियमों में बदलाव
नए वित्त वर्ष के साथ आयकर नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं। नई कर प्रणाली में अब 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। इसके साथ ही, स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया है, जिससे करदाताओं को अतिरिक्त लाभ मिलेगा।
वहीं, मकान मालिकों के लिए किराए से होने वाली आय पर टैक्स छूट की सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दी गई है।

TDS और डिविडेंड पर राहत
डिविडेंड और म्यूचुअल फंड से होने वाली आय पर टीडीएस (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) की सीमा में भी बदलाव हुआ है। पहले यह सीमा 5,000 रुपये थी, जिसे अब बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अब 10,000 रुपये से कम की डिविडेंड आय पर टीडीएस नहीं काटा जाएगा, जिससे छोटे निवेशकों को राहत मिलेगी।

डिविडेंड क्या होता है ?
डिविडेंड आय, कंपनी द्वारा अपने शेयरधारकों को उनके शेयरों में निवेश के लिए दिए जाने वाले लाभ का हिस्सा है, जिसे कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा निर्धारित किया जाता है। जब कंपनी लाभ कमाती है, तो वह अपने शेयरधारकों को लाभ का कुछ हिस्सा (डिविडेंड) के रूप में वितरित कर सकती है।
UPI और डिजिटल लेनदेन
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए UPI से जुड़े नियमों में भी बदलाव किया गया है। अब 1 अप्रैल से बड़े ट्रांजैक्शन पर अतिरिक्त शुल्क लग सकता है। हालांकि, छोटे लेनदेन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने UPI के जरिए छोटे भुगतानों को मुफ्त रखने का फैसला किया है।
इसके अलावा, 50,000 रुपये से अधिक के चेक भुगतान के लिए पॉजिटिव पे सिस्टम अनिवार्य कर दिया गया है। इस सिस्टम के तहत चेक की जानकारी पहले बैंक को देनी होगी, जिससे धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी आएगी।

एलपीजी (LPG) सिलेंडर की कीमतें
हर महीने की पहली तारीख को एलपीजी सिलेंडर की कीमतों की समीक्षा होती है। 1 अप्रैल 2025 को भी इसमें बदलाव संभव हैं। तेल कंपनियों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों के आधार पर सिलेंडर महंगा या सस्ता हो सकता है। आम जनता को इसकी जानकारी आधिकारिक घोषणा के बाद ही मिलेगी।

अन्य बदलाव
सेविंग अकाउंट और क्रेडिट कार्ड से जुड़े नियमों में भी कुछ संशोधन हुए हैं। कई बैंकों ने न्यूनतम बैलेंस की सीमा बढ़ा दी है, जिसका असर उन खाताधारकों पर पड़ेगा जो कम बैलेंस रखते हैं। वहीं, क्रेडिट कार्ड से लेनदेन पर लगने वाले शुल्क में भी मामूली बढ़ोतरी की जा सकती है।
1 अप्रैल 2025 से लागू ये बदलाव जहां कुछ लोगों के लिए राहत लेकर आए हैं, वहीं कुछ मामलों में जेब पर बोझ भी बढ़ा सकते हैं। करदाताओं और निवेशकों को नए नियमों का लाभ उठाने के लिए अपनी वित्तीय योजना को अपडेट करना जरूरी है। सरकार का उद्देश्य इन बदलावों के जरिए डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है।
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