Damoh Fake Doctor : मध्य प्रदेश के दमोह जिले से हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया। एक व्यक्ति, जिसने खुद को लंदन से प्रशिक्षित हृदय रोग विशेषज्ञ (कार्डियोलॉजिस्ट) बताकर लोगों का इलाज किया, अब उसका खुलासा नकली डॉक्टर के रूप में हुआ है। इस शख्स का नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एन जॉन कैम है, और इसके कारनामों ने मध्य प्रदेश की स्वास्थय व्यवस्थों को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
Fake Doctor की सच्चाई
नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने दमोह के एक निजी अस्पताल (मिशन हॉस्पिटल) में बतौर कार्डियोलॉजिस्ट काम किया। उसने दावा किया कि वह लंदन से प्रशिक्षित है और उसके पास एमबीबीएस की डिग्री है। हैरानी की बात यह है कि उसकी डिग्री एक महिला के नाम पर दर्ज थी, जिसके आधार पर उसने नौकरी हासिल की और 8 लाख रुपये सालाना वेतन भी लिया।
उसने कई मरीजों के हृदय का ऑपरेशन किया, लेकिन उसकी सच्चाई तब सामने आई जब एक मरीज की हालत बिगड़ने पर संदेह पैदा हुआ। जांच में पता चला कि वह न तो डॉक्टर था और न ही उसके पास कोई वैध डिग्री थी। दमोह के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक भी इस खुलासे से स्तब्ध रह गए।
कांग्रेस ने उठाये सवाल
इस नकली डॉक्टर के कारण दमोह में कम से कम सात लोगों की मौत हो चुकी है। उसने अपनी पहचान छिपाने के लिए एन जॉन कैम नाम का इस्तेमाल किया और लोगों को यह विश्वास दिलाया कि वह विदेश से प्रशिक्षित विशेषज्ञ है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह केवल धोखाधड़ी का मामला नहीं है, बल्कि जानबूझकर लोगों की जान से खिलवाड़ है, जिसके लिए सख्त कार्रवाई जरूरी है।
पहले भी कर चूका है अपराध
यह पहली बार नहीं है जब नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने ऐसा अपराध किया हो। रिपोर्ट्स के अनुसार, वह पहले भी छत्तीसगढ़ में बड़े अस्पतालों में ऑपरेशन कर चुका है, जहां उसकी वजह से कई मौतें हुई थीं। वह एक आदतन अपराधी है, जो अपनी चालाकी से बार-बार कानून के शिकंजे से बचता रहा। उसकी असली पहचान अभी भी पूरी तरह से उजागर नहीं हुई है।
प्रशासन ने फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव को प्रयागराज से गिरफ्तार कर लिया गया है। साथ ही उसके खिलाफ जांच शुरू हो गई है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कदम उन परिवारों को न्याय दिला पाएगा, जिन्होंने अपने प्रियजनों को इस नकली डॉक्टर की वजह से खो दिया?
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